केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने E20 पेट्रोल को लेकर हो रही आलोचनाओं पर गलत जानकारी फैलाने का आरोप लगाया है। उन्होंने आज (8 अगस्त) दिल्ली में हुए एक इवेंट में कहा कि ‘अगर किसी को लगता है कि E20 पेट्रोल से गाड़ियों में दिक्कत हो रही है, तो वो एक भी ऐसा उदाहरण पेश करे।’ उन्होंने दावा किया कि अब तक किसी भी गाड़ी में इस फ्यूल से कोई समस्या सामने नहीं आई है। हाल ही में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में ऑटो एक्सपर्ट्स और वाहन मालिकों ने दावा किया गया था कि E20 पेट्रोल से पुरानी गाड़ियों कि रियल वर्ल्ड में माइलेज 5-7% तक गिरा है, जो सरकार के दावों से ज्यादा है। सोशल मीडिया पर लोग सरकार पर सवाल उठा रहे हैं कि पुरानी गाड़ियों के लिए सही जानकारी और ऑप्शन्स क्यों नहीं दिए जा रहे। लेकिन गडकरी ने इसे ‘पॉलिटिकल कॉन्सपिरेसी’ करार दिया और कहा कि 2001 से शुरू हुई इस नीति को बदनाम करने की कोशिश हो रही है। मंत्रालय ने भी कहा- E20 फ्यूल से गाड़ियों को कोई नुकसान नहीं होता पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने भी इस मुद्दे पर बयान जारी करके कहा कि E20 फ्यूल से गाड़ियों को कोई नुकसान नहीं होता। मंत्रालय के मुताबिक, लंबे टेस्ट में 100,000 किलोमीटर तक गाड़ियों को E20 से चलाया गया और हर 10,000 किलोमीटर पर चेक किया गया। नतीजा ये निकला कि पावर, टॉर्क और माइलेज में कोई खास फर्क नहीं पड़ा। हालांकि, ये माना गया कि नए वाहनों में माइलेज 1-2% और पुरानी गाड़ियों में 3-6% तक कम हो सकता है, लेकिन ये ‘ड्रास्टिक’ नहीं है और इंजन ट्यूनिंग से इसे ठीक किया जा सकता है। पुरानी गाड़ियों का क्या? पुरानी गाड़ियों को लेकर चिंता जताई जा रही थी कि E20 से उनके इंजन और पार्ट्स खराब हो सकते हैं। लेकिन मंत्रालय ने साफ किया कि E20 में कॉरोजन इनहिबिटर्स (जंगरोधी तत्व) डाले गए हैं और BIS और ऑटोमोटिव इंडस्ट्री स्टैंडर्ड्स के तहत सेफ्टी सुनिश्चित की गई है। अगर पुरानी गाड़ियों में 20000 – 30000 किलोमीटर चलने के बाद रबर पार्ट्स या गास्केट्स बदलने पड़ें, तो ये रूटीन मेंटेनेंस का हिस्सा है और सस्ता भी है। E20 फ्यूल से प्रदूषण कम होता है गडकरी ने बताया कि E20 फ्यूल से न सिर्फ प्रदूषण कम होता है, बल्कि देश को कच्चे तेल के आयात में 1.40 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की बचत हुई है। साथ ही, किसानों को 1.20 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की पेमेंट हुई, जो उनके लिए बड़ी राहत है। उन्होंने कहा कि इथेनॉल का ऑक्टेन नंबर (108.5) पेट्रोल (84.4) से ज्यादा है, जो मॉडर्न इंजनों के लिए फायदेमंद है और राइड क्वालिटी बेहतर करता है। 7-8 साल में इथेनॉल नीति स्थिर हो जाएगी गडकरी ने भरोसा जताया कि आने वाले 7-8 साल में इथेनॉल नीति स्थिर हो जाएगी, जैसा कि ब्राजील में 80 साल की प्रैक्टिस के बाद हुआ। सरकार का मकसद 2030 तक 30% इथेनॉल ब्लेंडिंग (E30) तक पहुंचना है, लेकिन इसके लिए वाहन मैन्युफैक्चरर्स और कंज्यूमर्स के साथ तालमेल जरूरी है। क्या होता है एथेनॉल? एथेनॉल एक तरह का अल्कोहल है, जो स्टार्च और शुगर के फर्मेंटेशन से बनाया जाता है। इसे पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों में इको-फ्रैंडली फ्यूल की तरह इस्तेमाल किया जाता है। एथेनॉल का उत्पादन मुख्य रूप से गन्ने के रस से होता है, लेकिन स्टार्च कॉन्टेनिंग मटेरियल्स जैसे मक्का, सड़े आलू, कसावा और सड़ी सब्जियों से भी एथेनॉल तैयार किया जा सकता है। अप्रैल से देश में बिक रहीं E-20 पेट्रोल-डीजल गाड़ियों से होने वाले एयर पॉल्यूशन को रोकने और फ्यूल के दाम कम करने के लिए दुनियाभर की सरकारें एथेनॉल ब्लेंडेड फ्यूल पर काम कर रही हैं। भारत में भी एथेनॉल को पेट्रोल-डीजल के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। इससे गाड़ियों का माइलेज भी बढ़ेगा। देश में 5% एथेनॉल से प्रयोग शुरू हुआ था जो अब 20% तक पहुंच चुका है। सरकार अप्रैल के महीने में नेशनल बायो फ्यूल पॉलिसी लागू कर E-20 (20% एथेनॉल + 80% पेट्रोल) से E-80 (80% एथेनॉल + 20% पेट्रोल) पर जाने के लिए प्रोसेस शुरू कर चुकी है। इसके अलावा देश में अप्रैल से सिर्फ फ्लेक्स फ्यूल कंप्लाइंट गाड़ियां ही बेची जा रही हैं। साथ ही पुरानी गाड़ियां एथेनॉल कंप्लाएंट व्हीकल में चेंज की जा सकेंगी, एथेनॉल मिलाने से क्या फायदा है? पेट्रोल में एथेनॉल मिलाने से पेट्रोल के उपयोग से होने वाले प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी। इसके इस्तेमाल से गाड़ियां 35% कम कार्बन मोनोऑक्साइड का उत्सर्जन करती है। सल्फर डाइऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन का उत्सर्जन भी एथेनॉल कम करता है। एथेनॉल में मौजूद 35% ऑक्सीजन के चलते ये फ्यूल नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन को भी कम करता है। एथेनॉल फ्यूल कार से क्या फायदा?