छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में सुरक्षाबलों को संयुक्त ऑपरेशन में बहुत बड़ी सफलता मिली है। 3 दिन पहले मैनपुर से करीब 20 किमी दूर ओडिशा-छत्तीसगड़ बॉर्डर पर कुल्हाड़ी के भालूडिगी और ताराझर के जंगल और पहाड़ पर ऑपरेशन लॉन्च किया। इस दौरान जवानों की नक्सलियों से मुठभेड़ हुई। इसमें 27 नक्सलियों के मारे जाने की सूचना है। 14 शव बरामद कर लिए गए हैं। इनमें 1 करोड़ रुपए के इनामी नक्सली मनोज उर्फ जयराम उर्फ चलपति है। दूसरा, सीतानदी जोनल कमेटी का कमांडर गुड्डू है। वहीं ओडिशा पुलिस ने भी अपने इलाके में नक्सलियों के 13 शव बरामद करने का दावा किया है।
कुल्हाड़ी घाट के 20 किमी के दायरे को 1000 से ज्यादा जवान घेरे हुए हैं। अलग-अलग जगह लगातार मुठभेड़ चल रही है। जवान ड्रोन से इस मुठभेड़ की निगरानी कर रहे थे। देर रात तक रुक-रुककर दोनों पक्षों में फायरिंग जारी थी। इस मुठभेड़ में एक जवान घायल हो गया। यह एसओजी ओडिशा का है। उसके पैर में गोली लगी है। दरअसल, छत्तीसगढ़ के कुलारीघाट रिजर्व फॉरेस्ट एरिया में बड़े नक्सल कैडर की मौजूदगी का इनपुट मिला, तब सुरक्षाबलों व ओडिशा की संयुक्त टीम ने ऑपरेशन लॉन्च किया। मृतक संख्या और ज्यादा : इस संयुक्त ऑपरेशन के लिए ओडिशा और छत्तीसगढ़ पुलिस सहित सीआरपीएफ के जवान शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक कुल्हाड़ीघाट के इलाके में पांच अलग-अलग जगहों पर मुठभेड़ जारी है। अब तक 27 को मार गिराया है। कोबरा यूनिट के जवान खुफिया विभाग के हवाले से सरकार को यह जानकारी भेजी है। लेकिन पुष्टि नहीं कर रहे है। ड्रोन से निगरानी… अब जवान ऑपरेशन खत्म करने के बाद ही लौटेंगे नक्सलवाद अपनी अंतिम सांसें गिन रहा नक्सलवाद को एक और करारा झटका। नक्सल मुक्त भारत बनाने की दिशा में सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता मिली है। आज नक्सलवाद अपनी अंतिम सांसें ले रहा है।
-अमित शाह, केंद्रीय गृहमंत्री जवानों की कामयाबी सराहनीय है। उनकी बहादुरी को सलाम। हमारी डबल इंजन की सरकार में निश्चित ही हमारा छत्तीसगढ़ मार्च 2026 तक नक्सलवाद से मुक्त होकर रहेगा।
-विष्णुदेव साय, मुख्यमंत्री इस बॉर्डर में सुस्ताने-सीखने आते थे नक्सली, यहीं चलपति बना था सचिव प्रमोद साहू फोर्स ने नक्सलियों के बड़े लीडर चलपति उर्फ रामाचंद्र रेड्डी को मार गिराया है। चलपति को गुरिल्ला वॉर और मिलिट्री स्ट्रैटजी में महारत हासिल थी। वह 1970 से नक्सलियों से जुड़ा हुआ है। उसके बाद सेंट्रल कमेटी में शामिल हो गया। वह गुरिल्ला समूह पीपल्स वॉर ग्रुप (पीडब्ल्यूजी) का भी हिस्सा रहा है। वह पिछले कई साल से अबूझमाड़ में सक्रिय था, वहां नक्सलियों को ट्रेनिंग देता था। 6 माह पहले सीसीएम मुरली संग्राम की जगह उसे ओडिशा स्टेट कमेटी का सचिव बनाया गया था। उसकी जगह मुरली को माड़ की जिम्मेदारी दी गई है। इसी वजह से 10 दिन पहले 11 जनवरी को मांड, कांकेर से होते हुए चलपति गरियाबंद पहुंचा। वहां नक्सलियों को मजबूत करने और विस्तार के लिए बैठक लेने की तैयारी थी। तभी फोर्स ने हमला कर दिया। ओडिशा-छत्तीसगढ़ बॉर्डर में गरियाबंद के जंगल-पहाड़ को नक्सलियों का रेस्ट एरिया भी कहा जाता है, क्योंकि यहां कम नक्सल ऑपरेशन होते हैं या फोर्स निकलती है। 2012 में एएसपी राजेश पावर नक्सली मुठभेड़ में शहीद हुए थे। उसके बाद यहां कोई बड़ी घटना नहीं हुई। इसलिए सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर के बड़े नक्सली यहां आते थे। यहां से आराम से ओडिशा चले जाते थे। अभी तक 14 नक्सलियों के शव मिले अभी तक हमें 14 नक्सलियों के शव मिले हैं। उनकी पहचान की जा रही है। ओडिशा पुलिस भी नक्सलियों के शव लेकर गई। यह ऑपरेशन 19 जनवरी की रात लॉन्च किया गया। बड़ी संख्या में हथियार भी मिले हैं।
-अमरेश मिश्रा, आईजी रायपुर रेंज