गर्मी में आमनदुला में पेयजल संकट गहराया, नल-जल योजना हुई फेल

भास्कर न्यूज | आमनदुला गर्मी के मौसम की दस्तक के साथ ही आदर्श ग्राम पंचायत आमनदुला में हर वर्ष की तरह इस बार भी पेयजल संकट गहरा गया है। पिछले कई वर्षों से गर्मी के मौसम में गांव का भूजल स्तर तेजी से नीचे चला जाता है, जिससे हैंडपंप और ट्यूबवेल जैसे जल स्रोत भी जवाब देने लगते हैं। इस समय पूरे राज्य में तापमान 42–43 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है, जिससे भूमिगत जल की स्थिति और भी चिंताजनक हो गई है। गांव के मध्य बस्ती, बरम देव चौक, नवधा चौक, बाजार चौक, पुराना तालाब, पूर्व सरपंच गौरीशंकर सिदार मोहल्ला समेत कई हिस्सों में लोगों को पीने के पानी के लिए गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है। कई मोहल्लों में तो पानी के लिए लोग एक-दूसरे पर निर्भर हो गए हैं, लेकिन अब निजी घरों के लोग भी पानी देने से कतरा रहे हैं क्योंकि उन्हें भी अपने जल स्रोत की स्थिरता को लेकर आशंका है। गांव में एक बड़ी पानी की टंकी बनी हुई है, जो लंबे समय से बंद पड़ी है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्त्वाकांक्षी हर घर नल जल योजना का भी हाल बेहद खराब है। योजना का काम पिछले पांच वर्षों से निर्माणाधीन स्थिति में है। गांव में नल लगाए जा चुके हैं, टंकी भी बन चुकी है और कुछ हिस्सों में पाइपलाइन भी बिछाई जा चुकी है, लेकिन अब तक एक बूंद पानी भी लोगों को नसीब नहीं हुआ है। यह योजना फिलहाल सफेद हाथी बनकर रह गई है। जल है तो कल है जैसे स्लोगन केवल पोस्टर तक ही सीमित: डबल इंजन की सरकार होने के बावजूद ग्रामवासियों को अब तक इस योजना का लाभ नहीं मिल पाया है। हर साल गर्मी में पानी की खपत बढ़ जाती है, कूलर और अन्य उपकरणों के चलते जल की मांग भी अधिक हो जाती है, जिससे स्थिति और भी भयावह हो जाती है। जल संकट के पीछे केवल प्राकृतिक कारण ही नहीं, बल्कि मानवीय लापरवाहियां भी जिम्मेदार हैं। खेतों में अभी भी धान की फसल बोई जा रही है और ट्यूबवेल चौबीसों घंटे पानी उगल रहे हैं। ‘जल है तो कल है’ जैसे स्लोगन केवल पोस्टर और भाषणों तक सीमित रह गए हैं। लोग अपने घरों या खेतों के पास सोख्ता गड्ढे नहीं बना रहे हैं, जिससे जल पुनर्भरण की प्रक्रिया बाधित हो रही है।

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