गूगल के नए AI-टूल से मिनटों में बनाएं रियलिस्टिक वीडियो:असली-नकली का फर्क करना बेहद मुश्किल, जानें VEO-3 से कैसे बदलेगी हमारी जिंदगी

गूगल ने हाल ही में अपना नया AI वीडियो जेनरेशन टूल VEO-3 लॉन्च किया है। इसे अब तक का सबसे एडवांस मॉडल माना जा रहा है। VEO-3 की खासियत है कि ये हाई-क्वालिटी वीडियो के साथ-साथ डायलॉग, साउंड इफेक्ट्स और बैकग्राउंड म्यूजिक भी जेनरेट कर सकता है। ये टूल असल जिंदगी में कैसे काम आएगा, आसान भाषा में समझते हैं… क्या है VEO-3 और कैसे काम करता है? VEO-3 गूगल डीपमाइंड की तरफ से बनाया गया एक AI वीडियो जेनरेशन मॉडल है। ये टेक्स्ट या इमेज से 8 सेकंड के हाई-क्वालिटी वीडियो बना सकता है। वीडियो बनाने के साथ डायलॉग, साउंड इफेक्ट्स और म्यूजिक जेनरेट करने का फीचर इसे ओपनएआई के सोरा और रनवे एमएल जैसे टूल्स से अलग बनाता है। मिसाल के तौर पर, अगर आप लिखते हैं, “अल्बर्टा के जंगल में आग लगने की खबर एक न्यूज़ एंकर बता रहा है,” तो VEO-3 न सिर्फ़ न्यूज़ एंकर का वीडियो बनाएगा, बल्कि उसकी आवाज़, साउंड इफेक्ट्स और बैकग्राउंड म्यूजिक भी जोड़ देगा। ये वीडियो 4K रेजोल्यूशन में बनते हैं, जो इन्हें बेहद रियलिस्टिक बनाता है। VEO-3 को गूगल के जेमिनी ऐप और फ्लो प्लेटफॉर्म के ज़रिए इस्तेमाल किया जा सकता है। फ्लो एक खास ऐप है, जिसे गूगल ने क्रिएटर्स के लिए बनाया है। इसमें आप वीडियो को और बेहतर तरीके से कस्टमाइज़ कर सकते हैं। ये टूल मूड, टोन और कल्चरल सेटिंग्स को समझकर सिनेमैटिक वीडियो बनाता है। VEO-3 हमारी जिंदगी को कैसे बदल सकता है? 1. फिल्म और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के लिए गेमचेंजर VEO-3 फिल्ममेकर्स और एनिमेटर्स के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है। मशहूर डायरेक्टर डैरेन एरोनोफ्स्की जैसे लोग पहले ही इसे आज़मा रहे हैं। मान लीजिए एक डायरेक्टर को जंगल में आग लगने का सीन चाहिए, लेकिन बजट कम है। VEO-3 की मदद से वो टेक्स्ट डालकर ऐसा सीन बना सकता है, जिसमें आग, धुंआ और रियलिस्टिक साउंड इफेक्ट्स सब कुछ होगा, वो भी कुछ ही मिनटों में। स्पेशल इफेक्ट्स और एनिमेशन की कॉस्ट को ये टूल बहुत कम कर सकता है। छोटे फिल्ममेकर्स, जो बड़े बजट की प्रोडक्शन नहीं कर सकते, उनके लिए ये वरदान है। एक इंडिपेंडेंट फिल्ममेकर ने VEO-3 से एक साइंस-फिक्शन सीन बनाया, जिसमें एक स्पेसशिप क्रैश हो रही थी। इस सीन को बनाने में सिर्फ़ 20 डॉलर का प्रो प्लान खर्च हुआ, जबकि असल में ऐसा सीन बनाने में लाखों रुपए लगते। 2. गेमिंग इंडस्ट्री के लिए गेमचेंजर साबित होगा गेम्स में हाई-क्वालिटी कटसीन्स और रियलिस्टिक एनवायरनमेंट की डिमांड है। VEO-3 की मदद से डेवलपर्स ऐसे वीडियो सीन्स बना सकते हैं, जो रियल लगें। 3. एडवर्टाइजमेंट बनाना आसान हुआ VEO-3 विज्ञापन इंडस्ट्री के लिए भी बड़ा बदलाव ला सकता है। एड बनाने के लिए शूटिंग और प्रोडक्शन में बहुत खर्चा होता है। VEO-3 की मदद से ब्रांड्स सस्ते में इसे बना सकते हैं। छोटे बिजनेस, जैसे लोकल बेकरी या जिम, अब VEO-3 से प्रोफेशनल विज्ञापन बनाकर सोशल मीडिया पर डाल सकते हैं। पहले ऐसा विज्ञापन बनाने में हजारों रुपए लगते थे। 4. एजुकेशन और ट्रेनिंग के लिए इस्तेमाल VEO-3 का इस्तेमाल एजुकेशन और ट्रेनिंग में भी हो सकता है। स्कूल, कॉलेज और कॉरपोरेट ट्रेनिंग के लिए रियलिस्टिक वीडियो बनाना अब आसान हो गया है। टीचर्स VEO-3 से हिस्ट्री, साइंस या जियोग्राफी के वीडियो बना सकते हैं। मिसाल के तौर पर, एक टीचर को “द्वितीय विश्व युद्ध” को बारे में बताना है। तो VEO-3 की मदद से ऐसे वीडियो बनाए जा सकते हैं जिसमें सैनिक और टैंक दिख रहे हो। बच्चों को ये देखकर समझने में आसानी होगी। एक मेडिकल कॉलेज ने VEO-3 से सर्जरी का एक सिमुलेशन वीडियो बनाया था, जिसमें एक डॉक्टर ऑपरेशन कर रहा था। स्टूडेंट्स ने इसे देखकर प्रैक्टिकल नॉलेज हासिल किया। 5. सोशल मीडिया कंटेंट क्रिएशन सोशल मीडिया क्रिएटर्स के लिए VEO-3 एक मज़ेदार टूल है। यूट्यूब पर इसके वीडियो पहले ही वायरल हो रहे हैं। क्रिएटर्स VEO-3 से मज़ेदार वीडियो बना रहे हैं, जैसे कार्टून कैट्स, डिज़ास्टर सीन या रियलिस्टिक न्यूज़ रिपोर्ट्स। एक यूज़र ने VEO-3 से एक वीडियो बनाया, जिसमें वो डायनासोर के साथ भाग रहा था। ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। 1 मिलियन से ज़्यादा बार इसे देखा गया। फेक न्यूज फैलने का खतरा VEO-3 के फायदों के साथ कुछ चुनौतियां भी हैं। VEO-3 से बने रियलिस्टिक वीडियो की वजह से फेक न्यूज़ फैलने का डर है। इसके अलावा विज्ञापन, एनिमेशन और गेमिंग इंडस्ट्री में कुछ जॉब्स कम हो सकते हैं। अभी तक 71 देशों में पहुंचा VEO-3, भारत में जल्द मिलेगा VEO-3 को सबसे पहले 20 मई को अमेरिका में लॉन्च किया गया था, और कुछ ही दिनों में इसकी डिमांड इतनी बढ़ गई कि गूगल ने इसे 71 और देशों में रोलआउट कर दिया। हाल ही में यूके को भी इसका एक्सेस मिला है, लेकिन यूरोपियन यूनियन और भारत जैसे देशों को अभी इंतजार करना होगा। गूगल के जेमिनी के वाइस प्रेसिडेंट जोश वुडवर्ड ने एक पोस्ट में बताया कि वो भारत में जल्द से जल्द इसे लाने की कोशिश कर रहे हैं। गूगल डीपमाइंड के सीईओ डेमिस हस्साबिस ने कहा कि लॉन्च के कुछ ही दिनों में यूज़र्स ने VEO-3 से लाखों वीडियो बना लिए।

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