गोल्डी बराड़ का भाई बनकर बिजनेसमैन से मांगे एक करोड़:पंजाब पुलिस ने दबोचा; लैविश लाइफ जीने के लिए चुनी राह, AGTF को जांच

विदेश में छिपे आतंकी व सिंगर सिद्धू मूसेवाला की हत्या के मास्टर माइंड गोल्डी बराड़ का भाई बनकर कारोबारियों से रंगदारी मांगने वाले को पंजाब पुलिस की एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स (AGTF) ने अरेस्ट किया है। आरोपी की पहचान फरीदकोट के बरगाड़ी निवासी लवजीत सिंह के रूप में हुई है। वह 24 साल का है। उसने कुछ दिन पहले मोहाली के एक ऑटोमोबाइल शोरूम के मालिक से एक करोड़ रुपए की रंगदारी मांगी थी। उसने कारोबारी को चेतावनी दी कि पैसे न देने पर उसके परिवार को जान से मार देगा। डीजीपी गौरव यादव ने कहा कि आरोपी से पूछताछ में कई बड़े राज खुलेंगे। पुलिस से बचने के लिए इंटरनेट कॉल करता था पुलिस को पता चला है कि आरोपी ने पुलिस की नजर से बचने, अपनी पहचान छिपाने और रंगदारी मांगने के लिए वर्चुअल नंबर और सोशल मीडिया एप्लीकेशन का इस्तेमाल किया था। आरोपी की कॉल रिकॉर्ड कर ली थी आरोपी पर पुलिस ने मोहाली के सोहाना थाने में BNS की धारा 308(2) और 351(2) के तहत केस दर्ज किया है। पुलिस का कहना है कि आरोपी को रविवार को अदालत में पेश किया जाएगा। लैविश लाइफ के चक्कर में पहुंचा जेल पुलिस जांच में सामने आया है कि आरोपी एक लैविश लाइफ जीना चाहता था। इसके चलते उसने यह राह चुनी थी। आरोपी लगातार बिजनेसमैन और अमीर लोगों को अपना निशाना बनाता था। यह भी पता चला है कि वर्चुअल सिम आदि भी उसने विदेश से मंगवाए थे। पुलिस अब उसकी पड़ताल करने में जुटी है। गैंगस्टरों के नाम से स्थानीय लोग भी कर रहे हैं कॉल डीजीपी ने लोगों को आगाह किया है कि पिछले कुछ समय में यह देखने में आया है कि लोगों को फर्जी जबरन वसूली कॉल आ रही हैं। कई मामलों में देखा गया है कि अज्ञात अपराधी, जिनका किसी गिरोह या गैंगस्टर से कोई संबंध नहीं है, ऐसे झूठे दावों के जरिए लोगों के डर का फायदा उठा रहे हैं। डीजीपी ने कहा, “हम लोगों से अपील करते हैं कि जब भी जबरन वसूली के लिए कॉल आए, तो तुरंत पुलिस को सूचित करें ताकि कानून अपना काम कर सके।” 3 महीने पहले मलेशिया से चलने वाला गिरोह दबोचा था तीन महीने पहले, AGTF ने मलेशिया से संचालित एक फर्जी जबरन वसूली रैकेट का भंडाफोड़ किया था, जो पंजाब भर में गायकों, व्यापारियों और अमीर व्यक्तियों को निशाना बनाता था। आरोपी लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के सदस्यों के रूप में खुद को पेश करते थे और संभावित पीड़ितों एवं उनके परिवारों को डराने के लिए फर्जी सोशल मीडिया प्रोफाइल का इस्तेमाल करते थे।

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