छत्तीसगढ़ में गोधन योजना को फिर से शुरू करने के सरकारी निर्देश के बीच कांग्रेस और बीजेपी के बीच सियासी टकराव तेज हो गया है। पूर्व मंत्री शिव डहरिया ने भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस शासन में शुरू की गई गोधन न्याय योजना को भाजपा ने बंद कर दिया था, जिसका सीधा असर यह हुआ कि पशुधन सड़कों पर भटकने लगा। डहरिया ने कहा कि हमारी सरकार ने गांव-गांव में गौठान बनाए थे, लेकिन भाजपा सरकार ने इसे बंद कर दिया। अब उसी योजना को नाम बदलकर फिर शुरू किया जा रहा है और 10 रुपए में प्रति गाय को चारा देने की बात की जा रही है। उन्होंने कहा, आज के समय में 10 रुपए में आधा कप चाय भी नहीं मिलती, तो चारा कहां से मिलेगा। पुराने गौठानों का उपयोग क्यों नहीं? पूर्व मंत्री ने सवाल उठाया कि भाजपा सरकार कांग्रेस शासन में बने गौठानों का उपयोग क्यों नहीं कर रही। हमारे समय में गांव-गांव में गौठान व्यवस्थित रूप से चल रहे थे। आज वे बदहाल हैं, क्योंकि मौजूदा सरकार ने ध्यान ही नहीं दिया है। डहरिया ने कहा कि चारा के नाम पर भी भ्रष्टाचार होगा। कांग्रेस के शासन काल में बने गौठान का मेंटनेंस खुद होता था। सारी व्यवस्था वहीं से होती थी, लेकिन उनकी योजना सफल नहीं होने वाली है। योजना ही नहीं, बल्कि नीयत बदलकर चला रहे – भाजपा पूर्व मंत्री डहरिया के बयान के बाद भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी अमित चिमनानी ने कहा कि कांग्रेस को यह स्पष्ट होना चाहिए कि हम योजना ही नहीं, बल्कि नीयत भी बदलकर चला रहे हैं। चिमनानी ने कहा कि कांग्रेस के कार्यकाल में गौठान योजना के नाम पर 1300 करोड़ से ज्यादा का भ्रष्टाचार हुआ है। ये लोग गोबर खरीदी का पैसा दे देते थे, लेकिन दिखाया जाता था कि गोबर पानी में बह गया। इस प्रकार के भ्रष्टाचार कांग्रेस की सरकार में हुए हैं। लेकिन विष्णु देव की सरकार के कार्यकाल में ये सब बंद हो गया है। अमित ने कहा कि अब सभी योजनाएं पारदर्शी तरीके से चल रही हैं। इसी कड़ी में जो गौधाम योजना है यह गौ माता के लिए है। जितनी पवित्रता उनके नाम पर है, इस प्रकार से यह योजना चलेगी और हमारे गौवंश का संरक्षण करेगी। गौधाम बनाकर सरकारी जमीनों पर अपने चहेते को बसाना चाहती है प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस की सरकार ने 10000 से अधिक गौठानों का निर्माण किया था और चार लाख हेक्टेयर से अधिक सरकारी जमीन इससे संरक्षित हुई थी। 7 हजार से अधिक गौठान आत्मनिर्भर थे, जिसमें सरकार की फूटी कौड़ी नहीं लगती थी। उसे महिला स्व सहायता समूह संचालित करती थी। अब भाजपा सरकार गौधाम बनाकर इन सरकारी जमीनों पर अपने चहेते को बसाना चाहती है। असल मायने में उनकी नीयत सरकारी जमीन पर कब्जा करने की है, इसलिए गौधाम को निजी संस्थाओं को दिया जा रहा है। मतलब साफ है, सरकारी जमीनों पर कब्जा करना। ऐसे तैयार होंगे गौधाम छत्तीसगढ़ गौसेवा आयोग नियम 2005 के अंतर्गत, जिला प्रशासन के प्रस्ताव पर गौधाम स्थापित किए जाएंगे, जो पंजीकृत गौशालाओं से अलग होंगे। पहले चरण में, राज्य के प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों के आसपास स्थित ग्रामीण क्षेत्रों में गौधाम बनाए जाएंगे। इन गौधामों में स्थानीय निकायों द्वारा एकत्रित निराश्रित और घुमंतू गौवंशीय पशु, तथा गृह विभाग द्वारा कृषक पशु परिरक्षण अधिनियम 2004 (संशोधित 2011) और छत्तीसगढ़ कृषक पशु परिरक्षण नियम 2014 के तहत जब्त गौवंश को ही रखा जाएगा। शासकीय भूमि पर होगा गौधाम का संचालन गौधाम की स्थापना ऐसी शासकीय भूमि पर की जाएगी, जहां सुरक्षित बाड़ा, पशु शेड, पर्याप्त जल आपूर्ति और बिजली की सुविधा मौजूद हो। इसके लिए पहले से विकसित अवसंरचना वाले गौठानों को प्राथमिकता दी जाएगी। उपलब्धता के आधार पर गौठान से लगी चारागाह भूमि हरे चारे के उत्पादन के लिए दी जाएगी। संचालन के लिए चयनित संस्था को प्रदान की गई भूमि, अवसंरचना और चारागाह पर किसी प्रकार का स्वामित्व अधिकार नहीं होगा। गौधाम का उद्देश्य जिला और ब्लॉक समितियां करेगी निगरानी गौधाम का संचालन ठीक तरह से हो रहा है या नहीं? इसका पता लगाने के लिए सरकार जिला और ब्लॉक स्तरीय समितियां निगरानी करेगी। उत्कृष्ट गौधामों को दूसरे साल से प्रति पशु प्रतिदिन 20 रुपए, तीसरे साल 30 रुपए और चौथे साल 35 रुपए तक अनुदान मिलेगा। पहले चरण में एनएच किनारे बनेगा गौधाम पहले चरण में राष्ट्रीय राजमार्ग से सटे ग्रामीण इलाकों में गौधाम बनेंगे, ताकि सड़क हादसों में मवेशियों की मौत रोकी जा सके। सरकार का दावा है कि यह कदम न सिर्फ गौसेवा को मजबूती देगा, बल्कि किसानों को फसल नुकसान और सड़क हादसों से भी राहत मिलेगी। आदेश लागू होते ही जिलों में जमीन चयन और संचालन समितियों के गठन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। संस्थाओं का चयन होगा इस तरह से गौधाम संचालन के लिए नई संस्था का चयन “रुचि की अभिव्यक्ति” (EOI) के आधार पर छत्तीसगढ़ राज्य गौसेवा आयोग द्वारा किया जाएगा। जिला स्तरीय सशक्त समिति प्राप्त आवेदनों का तुलनात्मक मूल्यांकन कर चयनित संस्था के प्रस्ताव अनुमोदन के लिए राज्य गौसेवा आयोग को भेजेगी। अनुमोदन प्राप्त होने के बाद, चयनित संस्था और आयोग के बीच अनुबंध किया जाएगा, जिसके बाद गौधाम का संचालन उस संस्था को सौंपा जाएगा। संस्था चयन के मापदंड