मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में इन दिनों देसी मशरूम (पिहरी) के दाम आसमान छू रहे हैं। लोग इसे बड़े चाव से खाते हैं, जो वनांचल क्षेत्र के ग्रामीणों के लिए एक्स्ट्रा इनकम का सोर्स बन रहा है। बताया जाता है कि बारिश के दिनों में जब बादल गरजते हैं, तब बांस के पेड़ के नीचे छत्तानुमा एक फूल निकलती है। इसे देसी मशरूम या पिहरी बोला जाता है। इसका स्वाद चिकन-मटन से भी शानदार होता है। अब यह मनेंद्रगढ़ के बाजारों में बिक रहा है, जिसकी कीमत इन दिनों एक हजार रुपए से बारह सौ रुपए प्रति किलो है। साइज में जो पिहरी जितनी छोटी होती है, उसका स्वाद उतना ही अच्छा होता है और इसकी कीमत भी उतनी ही ज्यादा होती है। ग्रामीणों के लिए इनकम स्रोत जिले का अधिकांश भू-भाग वनांचल है। यहां के ग्रामीण खेती-बाड़ी के साथ जंगलों से पिहरी को निकालकर बाजारों में बेचते हैं, जिससे एक्स्ट्रा इनकम होता है। हालांकि, शहर में अधिकांश सब्जी विक्रेता इन ग्रामीणों से पूरा पिहरी खरीद लेते हैं और अधिक कीमत में उसे बेचते हैं। कीमत अधिक होने का सबसे बड़ा कारण यह भी है कि यह पिहरी सिर्फ बारिश के दिनों में ही मिलती है, जो कि दो महीने खासकर जुलाई और अगस्त का महीना होता है। इसके आकार में जैसे ही बढ़ोतरी होती है वैसे ही यह नष्ट होता जाता है और कीमत भी कम हो जाती है । पिहरी खाने वालों को सावधानी जरूरी एक ओर जहां पिहरी को कम फैट और प्रोटीन से भरपूर स्वाद में बेहतर माना जाता है। वहीं जानकर इसे खाने में सावधानी बरतने की सलाह देते हैं। जानकार बताते हैं कि यह बेहद पौष्टिक तो होता है, लेकिन इसकी कई प्रजाति सेहत के लिए नुकसान देह भी होती है। इसे गर्भवती महिलाओं और बच्चों को सावधानी पूर्वक सेवन करना चाहिए चाहिए। अधिक सेवन करने से कई लोगों को एलर्जी की शिकायत भी हो जाती है। पिहरी को कच्चा बिल्कुल भी उपयोग नहीं करना चाहिए।