भनपुरी रामेश्वरम नगर में शुक्रवार की रात बी अमरेश्वर राव (45) के घर जब विस्फोट हुआ, तब दो पुलिस जवानों के साथ तीन पड़ोसी भीतर थे। सभी के कमरे में आग लग गई थी। चीखते हुए वे बाहर भागे और रोड पर दौड़ने लगे। ये देख लोगों ने पानी डालकर आग बुझाई। जब वे कमरे में घुसे तो अमरेश्वर झुलसा तड़प रहा था। सभी को अस्पताल ले जाया गया।
अमरेश्वर और पत्नी का झगड़ा सुन पड़ोसियों ने पुलिस बुलाई। खमतराई थाने की पेट्रोलिंग और डायल-112 की टीम तब पत्नी बाहर पड़ोसी के घर पहुंच चुकी थी। अमरेश्वर मकान के भीतर से गाली गलौज करता रहा। पड़ोसियों की भी नहीं सुनी। इसी दौरान उसने आग लगा ली। शंका है कि सिलेंडर का पाइप काटा होगा, तभी धमाका हुआ। घर से धुंआ देख पुलिसवाले व तीन पड़ोसी दौड़े और धमाके की चपेट मंे आकर झुलस गए। धमाका इतना तेज था कि घर पर रखी बाइक, कूलर, टीवी और सारा सामान जलकर खाक हो गया। एक घंटे की मशक्कत के बाद आग पर पाया जा सका काबू दुकान टूटने के बाद से सदमे में था अमरेश्वर राव मूलत: मनेंद्रगढ़ का था। उसकी रायपुर में ही कार श्रृंगार दुकान थी। दो साल पहले दुकान बंद हुई तब से वह सदमे में था। वह मनेंद्रगढ़ लौट गया और वहीं दुकान खोल ली। संध्या यहीं रहकर सिलाई कढ़ाई करती है। उनके दो बच्चे हैं। बेटा मनेंद्रगढ़ में पिता और दादा-दादी के साथ रहता है, जबकि 7 साल की बेटी यहीं मां के साथ रहती है। बेटी बची, सनक ने पति को छीना उनका दिमाग काफी दिन से डिस्टर्ब था, बच्ची को नुकसान न पहुंचा दें इसलिए बचकर भागी… मैं लौटी वो जलते पड़े थे अंबेडकर अस्पताल में रात 12.30 बजे। संध्या रानी एक्स-रे कक्ष से बाहर निकली। रिपोर्ट के इंतजार में वो कक्ष के बाहर बेंच में बैठी थी। भास्कर ने जब घटना के बारे में पूछा तो उसकी आंखों में आंसू लिए उसने कहा- भैया उनका दिमाग कुछ दिन से डिस्टर्ब है। मैं घर में बैठी थी। अचानक पता नहीं उन्हें क्या हुआ, वो उठे और सीधे मेरे गले में चाकू मार दिया। मैं समझ गई, अभी खतरा है। मैंने बच्ची को उठाया और लोगों को मदद के लिए पुकारते हुए भागकर सीधे सामने रहने वाले पड़ोसी के घर घुस गई। मेरे गले से खून बह रहा था। सब मेरे गले का खून देखकर घबरा गए। थोड़ी देर में भीड़ लग गई। अचानक किसी ने चिल्लाया, दीदी आपके घर से धुंआ निकल रहा है। बच्ची को वहीं छोड़कर मैं भागी। मेरे साथ पड़ोसी भी दौड़े। मैंने दरवाजा खोला… ये कहते हुए वो रोने लगी। फिर कहा वो जमीन पर पड़े थे। कमरे में बस धुंआ धुंआ था। बस मुझे वो तड़पते दिखाई दिए। उसके बाद क्या हुआ मुझे नहीं मालूम। सब बोल रहे हैं वो अस्पताल में हैं। कमरे में जैसे घुसे, धमाका हुआ डीकेएस अस्पताल में भर्ती सिपाही हेमंत गिलहरे और विकास सिंह ने बताया कि कंट्रोल रूम से चाकूबाजी की सूचना मिली थी। उसके बाद हम रामेश्वरम नगर पहुंचे। वहां भीड़ लगी हुई थी। संध्या घर के बाहर लहूलुहान खड़ी हुई थी। उसने बताया कि उसके पति अमरेश्वर ने मारपीट की है। पता नहीं उन्हें क्या हो गया है। फिर वो पड़ोसी के घर चली गई। इस दौरान मकान से धुंआ निकलने लगा। आग देखकर हम लोग दौड़े। आसपास वाले भी हमारे साथ गए। शोर सुनकर संध्या भी आ गई। जैसे ही दरवाजा खोलकर हम भीतर गए जोरदार धमाका हुआ। सिलेंडर के चिथड़े उड़ गए। आग भभक गयी। हम लोग खुद को संभाल नहीं सके और आग की चपेट में आए गए। वहां फिर बाहर की ओर भागे। आसपास वालों ने हमारे शरीर में लगी आग बुझायी। उसके बाद हमें अस्पताल लाया गया। डॉक्टर ने बताया कि सिपाही विकास का चेहरा झुलस गया है। पड़ोसी विक्रम ठाकुर और चेतन दास का भी चेहरा जल गया है। सिपाही हेमंत का हाथ जला है।