चंडीगढ़ पुलिस के कॉन्स्टेबल सतीश कुमार, कॉन्स्टेबल विश्वजीत सिंह और होमगार्ड जवान दिलीप नेगी को ड्यूटी से हटाकर लाइन हाजिर कर दिया गया है। मामले की जांच एरिया डीएसपी कर रहे हैं और अगर इनके खिलाफ और सबूत मिले तो आगे कड़ी कार्रवाई होगी। आरोप है कि इन तीनों ने साइबर ठगों को पकड़ने के बजाय उनसे मिलकर ₹1.90 लाख गूगल पे के जरिए ट्रांसफर करवा लिए। थाना पुलिस की जांच में सामने आया कि इस रकम के लेन-देन में इनकी सीधी भूमिका थी। एसआईटी के रह चुके सदस्य
तीनों पुलिसकर्मी पहले थानों में बनने वाली एसआईटी के सदस्य रह चुके हैं। थाना मनीमाजरा का चार्ज संभालने के बाद इंस्पेक्टर मनिंदर सिंह ने पुरानी एसआईटी को भंग कर दिया था, लेकिन इसके बावजूद ये सदस्य पहले की तरह काम करते रहे। इसी दौरान उन्होंने एक केस पकड़ा और आरोप है कि उसे छोड़ने के बदले पैसे ले लिए। इस मामले को लेकर इनकी थाना प्रभारी से कहासुनी भी हुई थी। बाद में इसकी रिपोर्ट तैयार करके डीएसपी नॉर्थ ईस्ट विजय सिंह को भेजी गई। शिकायत के बाद हुई कार्रवाई
डीएसपी नॉर्थ ईस्ट विजय सिंह ने बताया कि उनके पास शिकायत आई थी, जिसमें इन तीनों पुलिसवालों पर अनुशासनहीनता और एक केस में पैसे लेने जैसे आरोप लगे हुए थे। जिसके बाद मामले की जांच कर इन तीनों को लाइन हाजिर कर दिया गया है और मामले की जांच गहनता से की जा रही है। बता दें कि चंडीगढ़ में पहले डीजीपी रहे सुरेंद्र यादव को आज भी इसलिए याद किया जाता है क्योंकि वे किसी भी शिकायत पर कार्रवाई जरूर करते थे। चाहे शिकायत आम नागरिक के खिलाफ हो, किसी पुलिसकर्मी के या फिर बड़े अधिकारी के खिलाफ। उनके ट्रांसफर के बाद यह सख्ती कम हो गई थी। अब नए डीजीपी सागर प्रीत हुड्डा के आने के बाद फिर से वही सख्त रवैया देखने को मिल रहा है। नियमों के प्रति वे काफी कड़े हैं। इसका अंदाजा उनके ट्रैफिक चालान वाले निर्देशों से भी लगाया जा सकता है, जिसमें उन्होंने साफ कहा था कि पहले शहर के लोगों को ट्रैफिक जाम से राहत दिलाई जाए, उन्हें अनावश्यक परेशानी न हो और बिना वजह बाहरी गाड़ियों के चालकों को परेशान न किया जाए।