भास्कर न्यूज | बेनूर शादी की रस्मों के दौरान जहां लोग साथ जीने-मरने की कसमें खाते हैं, वहीं बेनूर में एक ऐसा बुजुर्ग जोड़ा भी है, जिसने इस साथ जीने-मरने की कसम पर अमल किया है। बीते चार सालों से नेत्रहीन महिला की सेवा उसका पति पूरे नि:स्वार्थ भाव से कर रहा है। दरअसल महिला की आंखों की रोशनी 4 साल पहले अचानक चली गई और उसके जीवन में अंधेरा छा गया, लेकिन उसका पति उसके साथ था। उसने आंखों की रोशनी लाने का भरसक प्रयास किया, लेकिन उसके जीवन में उजाला नहीं ला पाया। आखिर में उसने हर समय अपनी पत्नी को अपने साथ रखने की ठानी। बेनूर में ये जोड़ा मिसाल बना हुआ है, जहां हर पति-पत्नी उन्हें देखकर प्रेरणा ले रहे हैं। बेनूर के नऊपारा निवासी घुड़राम यादव और इतवारिन बाई यादव हर पति-पत्नी के लिए मिसाल बने हुए हैं। करीब 60 साल के घुड़राम और 55 साल की इतवारिन सामान्य पति-पत्नी की तरह ही अपना परिवार चला रहे थे। पति घुड़राम खेती-किसानी करता और पत्नी इतवारिन घर का काम करने के साथ ही खेती-किसानी में अपने पति का सहयोग करती थी। करीब 4 साल पहले अचानक इतवारिन बाई की दोनों आंखों की रोशनी चली गई। घुड़राम ने अस्पतालों में डॉक्टरों से लेकर वैद्य और सिरहा-गुनिया के पास भी उसका इलाज करवाया, लेकिन दोबारा इतवारिन बाई देख ही नहीं पाई। ऐसे में अब घुड़राम अपनी पत्नी की देखभाल खुद कर रहा है। डंडे या गमछे की मदद से पत्नी को रास्ता बताकर बाजार जाता है घुड़राम घुड़राम अपनी पत्नी को रास्ता दिखाते हुए हर जगह पर लेकर जाता है। वह किसी गमछे या डंडे के एक सिरे को खुद पकड़ता है और दूसरा सिरा इतवारिन बाई को पकड़वाता है। इसके बाद उसे अपने साथ लेकर बाजार भी जाता है और पत्नी को घुमाता है। घुड़राम बताता है कि वह सुबह उठने से लेकर रात में सोने तक अपनी पत्नी का हर काम करता है। यही कारण है कि घुड़राम-इतवारिन की जोड़ी पूरे क्षेत्र में मिसाल बनी हुई है।