छत्तीसगढ़ चीफ जस्टिस ने केशकाल में देवी-देवताओं की अदालत देखी:पारंपरिक न्याय व्यवस्था को करीब से समझा; पारंपरिक रीति से होता है विवादों का निपटारा

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सचिन सिंह राजपूत ने 30 नवंबर को बस्तर दौरे के दौरान केशकाल के प्रसिद्ध भंगाराम में देवी-देवताओं की पारंपरिक अदालत का अवलोकन किया। इसके बाद वे केशकाल के टाटामारी में ही रात रुके। पुलिस अधिकारियों ने उन्हें सलामी भी दी। जानकारी मिलने पर कि टाटामारी के नैनाराज में देवी-देवताओं की परंपरागत अदालत लगती है, जस्टिस राजपूत वहां पहुंचे। उन्होंने भंगाराम माई के दर्शन कर आशीर्वाद लिया। ग्रामीणों के अनुसार, इस अदालत में लोगों के बीच के विवादों और अपराधों का निपटारा पारंपरिक रीति से किया जाता है, जिसे न्यायाधीशों द्वारा सजा सुनाने जैसी पद्धति माना गया है। देव-परंपराओं से जुड़ी धार्मिक आस्थाओं की दी जानकारी जस्टिस राजपूत ने अदालत की व्यवस्था को करीब से समझते हुए इसके इतिहास और परंपरा की विस्तृत जानकारी ली। भंगाराम माई की अदालत और उससे जुड़ी मान्यताओं ने उन्हें विशेष रूप से आकर्षित किया। स्थानीय जानकारों ने उन्हें जुलूस नाच, प्रतिवर्ती भादो माई की जाजरा परंपरा और देव-परंपराओं से जुड़ी धार्मिक आस्थाओं की जानकारी भी दी। जस्टिस राजपूत ने अपने इस अनुभव को “अद्वितीय और आनंददायी” बताया। दर्शन के बाद जस्टिस राजपूत ने केशकाल व्यवहार न्यायालय का निरीक्षण किया और आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए। इसके बाद वे नारायणपुर एवं कोंडागांव के लिए रवाना हो गए। इस दौरान हाईकोर्ट रजिस्ट्रार मंज़ूर अहमद, जिला एवं सत्र न्यायाधीश किरण चतुर्वेदी, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी सौम्या राय, एसपी पंकज चंद्रा, एएसपी अरुण नेताम, फॉरेस्ट एसडीओ सुभाष नेताम और टीआई जोगेंद्र सिंह चौहान सहित कई अधिकारी उपस्थित रहे।

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