छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण-मतांतरण के मामले बढ़ रहे हैं। तीन युवतियों के धर्मांतरण और मानव तस्करी मामले में 25 जुलाई को दुर्ग स्टेशन से 2 ईसाई नन और एक युवक को गिरफ्तार किया गया था। इस विवाद ने इतना तूल पकड़ा कि सियासत होने लगी। सड़क पर प्रदेश के बाद मामला संसद तक पहुंच गया। वैसे छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण का यह पहला केस नहीं है। 2021 से लेकर अब तक हिंदू और ईसाई समाज में 102 बार टकराव हुआ। टकराव के बाद विभिन्न जिलो में 44 एफआईआर दर्ज हुई हैं। इनमें से 23 तो इसी साल हुईं। वर्तमान में 17 जिलों में चल रहा है। इन जिलों में अलग-अलग समय में विवाद हुआ और एफआईआर भी दर्ज हुई। बीते चार सालों में सबसे ज्यादा विवाद कोरबा, बलरामपुर, महासमुंद, दुर्ग और बिलासपुर में हुआ है। सबसे कम विवाद सरगुजा, बस्तर और सूरजपुर में हुआ है। बढ़ते विवाद और हंगामा बताने वाले प्रदेश के 3 मामले केस-1: अस्थाई चर्च का घेराव 27 जुलाई को रायपुर के डब्ल्यूआरएस इलाके के प्रवेश रोड में रेलवे की जमीन पर बने अस्थाई चर्च का घेराव हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं ने किया था। उन्होंने प्रार्थना सभा की आड़ में धर्मांतरण करने का आरोप भी लगाया। केस-2: सभा में धर्मांतरण का आरोप 28 जुलाई को बिलासपुर के बंदवापारा इलाके के प्रीति भवन में हिंदू संगठन ने घेराव कर दिया था। कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि सभा में हिंदू महिलाओं को मानसिक रूप से ईसाई धर्म की तरफ आकर्षित करने की कोशिश की जा रही है। केस-3: पादरी पर देवी-देवताओं का अपमान करने का आरोप लगा 31 जनवरी 2025 को रायपुर के पंडरी में चंगाई सभा में धर्मांतरण और हिंदू देवी-देवताओं के अपमान पर जमकर बवाल हुआ। हिंदू संगठनों का दावा था कि चंगाई सभा में 4 हिंदू परिवारों का धर्मांतरण कराया जा रहा था। विवाद के बाद शिकायतकर्ता की सूचना पर पादरी कीर्ति केशरवानी समेत तीन लोगों पर एफआईआर हुई।