रांची यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. अजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि शिक्षकों और कर्मचारियों की भारी कमी है। क्लास संचालित करने के लिए अभी 500 से अधिक शिक्षक चाहिए। लेकिन हमारे पास गिनती के शिक्षक हैं। विभिन्न कॉलेजों में कई विषयों में एक भी शिक्षक नहीं है। इसलिए शिक्षकों को अपने के अलावा दूसरे कॉलेजों में क्लास लेना पड़ रहा है। ताकि जिन कॉलेजों में एक भी शिक्षक नहीं है, वहां कक्षाएं आयोजित हो सके। छात्र संख्या के अनुपात में शिक्षक नहीं हैं। वे बुधवार को मोरहाबादी कैंपस स्थित स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेशन में आयोजित वर्कशॉप में बोल रहे थे। वर्कशॉप का विषय डिजिटल गवर्नेंस एंड लर्निंग इनहांसमेंट इनिशिएटिव था। वीसी ने कहा कि नीड बेस्ड असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति प्रक्रिया को शिकायत के आधार पर रोक लगा दी गई है। शिकायत की पहले जांच की जानी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि बीएस कॉलेज लोहरदगा में सात विषयों में एक भी शिक्षक नहीं हैं। यूनिवर्सिटी में कर्मचारियों की भारी कमी है। कर्मचारियों की लंबे समय से नियुक्ति नहीं हुई है। अभी यूनिवर्सिटी में अनुकंपा के आधार पर नियुक्त कर्मचारी ही बचे हैं। डिजिटल गवर्नेंस विषय पर आयोजित वर्कशॉप में संबोधित करते वीसी। प्रशिक्षक की भाषा सहज होनी चाहिए : वीसी डॉ. अजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि डिजिटल गवर्नेंस वर्कशॉप में प्रशिक्षण देने वालों की भाषा सहज होनी चाहिए। ताकि हर कोई इसका लाभ उठा सके। सीएससी के सीनियर मैनेजर अनुपम उपाध्याय ने भी अपने विचार साझा किए और कहा कि कुलपति के मार्गदर्शन में कई कॉमन सर्विस सेंटर खोले गए हैं।