पंकज प्रसाद लातेहार जिले में महुआ का पेड़ ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हो रहा है। पेड़ से फूल और फल दोनों से साल में दो बार नकदी फसल मिलती है। इन दिनों महुआ के फूल गिरने का समय है। ग्रामीण सुबह से जंगलों में जाकर महुआ चुन रहे हैं। लातेहार, चंदवा, बालूमाथ, बारियातू, हेरहंज, मनिका, बरवाडीह, महुआडांड़ और गारू के जंगलों में बड़ी संख्या में महुआ के पेड़ हैं। लातेहार वन क्षेत्र पदाधिकारी ने नंदकुमार महतो बताया कि जिले में करीब एक लाख महुआ के पेड़ हैं। एक पेड़ से पूरे सीजन में औसतन 45 किलो (सुखाकर) महुआ गिरता है। इस हिसाब से जिले में 45 हजार क्विंटल महुआ का उत्पादन होगा। बाजार में महुआ 4500 रुपए प्रति क्विंटल बिक रहा है। इससे 20 करोड़ 25 लाख रुपए का कारोबार होने का अनुमान है। एक महीने बाद निकलेगा डोरी, फिर होगी कमाई कई ग्रामीणों के खेतों में दर्जनों पेड़ हैं। जंगल के पेड़ों से मजदूर वर्ग को भी फायदा होता है। एक महीने बाद इसी पेड़ से डोरी मिलती है। इससे तेल निकाला जाता है। यह तेल सालभर के लिए घर के काम आता है। डोरी बेचकर ग्रामीण बच्चों की पढ़ाई और खेती के खर्च पूरे करते हैं। महुआ से शराब भी बनाई जाती है।