गुरमीत लूथरा रजिंदर कौर और राजविंदर कौर हर रविवार बस स्टेंड से गुरुद्वारा शहीदां तक श्रद्धालुओं को ले जाने व वापस छोड़ने की फ्री सेवा कर रही हैं। रजिंदर के यह सेवा इसलिए करती हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा श्रद्धालु शहीदगंज साहिब में नतमस्तक होकर बाबा जी की कृपा पा सकें। दरअसल, रजिंदर जब 2 महीने की थी, तब उनके गले के नीचे गंभीर जख्म हो गया था। पिता निशान सिंह, जिनकी बाबा दीप सिंह में आस्था है, उन्हें गोद में उठाकर पैदल ही सुल्तानविंड से गुरुद्वारा शहीदां लेकर पहुंचे। वहां बाबा दीप सिंह की जोत का देसी घी जख्म पर लगाया। कुछ दिन में रजिंदर को राहत मिल गई। बिना किसी दवा या मलहम के उनका जख्म ठीक हो गया। जब वह 5 साल की थी, तब से उनके पिता उन्हें रोज गुरुद्वारा शहीदां लेकर आने लगे और यहां बर्तन और लंगर की सेवा करने लगी। इस वक्त वह 35 साल की हैं। वह बताते हैं कि करीब 7 महीने पहले उन्होंने इस अनोखी सेवा की शुरुआत की। उनकी सवारियों में ज्यादातर बुजुर्ग और चलने-फिरने में असमर्थ लोग शामिल होते हैं। उनकी कोशिश रहती है कि कोई इस कारण कोई ऐसा श्रद्धालु बाबा जी के गुरुद्वारा साहिब में आने से वंचित न रह जाए तो चलने-फिरने में तकलीफ महसूस करता हो। राजविंदर कौर के पति सोनू ने निगम के राही प्रोजेक्ट के तहत 6 जून 2024 को पिंक ई-रिक्शा खरीदा। उसी रात बाबा दीप सिंह ने सपने में आकर सेवा के लिए प्रेरित किया। लोहारका रोड निवासी राजविंदर कौर ने बताया कि वाहेगुरु ने उनसे यह सेवा मांगी है। उसी रात ठान लिया कि जब तक वाहेगुरु सेवा करवाएगा, करती रहेंगी। पीछे नहीं हटेंगी। हर रविवार श्रद्धालुओं को रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और अन्य स्थानों से गुरुद्वारा शहीदां तक ले जाती हैं। दर्शन के बाद उन्हें वापिस वहीं छोड़ती हैं। राजविंदर कौर ने कहा कि हम महिलाएं श्रद्धालुओं की सहायता करने से भी पीछे नहीं हटती हैं। एक माह पहले बरनाला निवासी मनोहर लाल का बस स्टैंड पर पर्स चोरी हो गया। वह शहीदां साहिब जा रहे थे। राजविंदर ने जेब से 500 रुपए दिए। उन्हें गुरुद्वारा साहिब के दर्शन भी करवाए।