‘छै कोरी, छै आगर तरिया’ यह कहावत दुर्ग जिले की धमधा नगर पंचायत के लिए कही जाती है। यह कहावत ऐसे ही नहीं कही जाती। 1 आगर यानी एक संख्या और 20 आगर यानी 1 कोरी। इस तरह इसका मतलब 126 तालाब से है। इनमें से 121 तालाब आज भी दुर्ग जिले के धमधा नगर पंचायत में है, जिनमें से 70 तालाब जीवित हैं। इसके अलावा 51 तालाब कब्जाधारियों के कब्जे में हैं, जिसे मुक्त कराने के लिए ग्रामीणों ने मुहिम छेड़ दी है। इसके लिए गांव वालों ने धर्मधाम गौरवगाथा समिति बनाकर अब तक 7 तालाब बचा लिए हैं। इन तालाबों को कब्जा कर खेत बना दिया गया था। अब प्रशासन से 30 तालाबों को कब्जा मुक्त कराने की मांग की जा रही है, ताकि उन्हें भी बचाया जा सके। समिति द्वारा श्रमदान और आपस में चंदा कर तालाबों की खुदाई के साथ पानी भरने का काम किया जाता है। तहसील से निकलवाए तालाबों के रिकॉर्ड: धर्मधाम गौरवगाथा समिति के संयोजक वीरेंद्र कुमार देवांगन का कहना है कि धमधा की पहचान यहां के तालाबों और पर्यटन से है। यहां आने वाले पर्यटक जब यहां के तालाबों की संख्या के बारे में पूछते तो जवाब होता कि 25-30 तालाब ही बचे होंगे। बस यही प्रश्न था, जिसके उत्तर के लिए हमने प्रयास शुरू किया। समिति के सदस्यों ने यहां के बिखरे, छिपे और विलुप्त हो चुके तालाबों को खोजना शुरू किया। सबसे पहले सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत तहसील कार्यालय से तालाबों का रिकार्ड निकाला गया, जिसमें लंबे समय के इंतजार के बाद 26 तालाबों की अधिकृत जानकारी मिली। तालाबों की तलाश आगे बढ़ी तो नामकरण के आधार पर यह संख्या 40 तक पहुंच गई। लंबे समय तक चर्चा, परिचर्चा, खोज, तलाश के बाद धमधा में 121 तालाबों की पुष्टि हुई, जिन्हें रकबा-खसरा से या फिर लोगों की स्मृति के आधार पर चिंहित किया जा सका। 10 लोगों से शुरू मुहिम में आज सौ से अधिक लोग जुड़े
तालाब को बचाने के लिए शुरू की गई मुहिम में पहले कुछ लोग संगठित हुए। इसके बाद धर्मधाम गौरवगाथा समिति बनाई गई। वीरेंद्र कुमार देवांगन बताते हैं कि इस समिति में कोई अध्यध, उपाध्यक्ष या फिर कोई अन्य पद नहीं है, क्योंकि समिति से जुड़ा हर एक सदस्य अहम है। 10-12 लोगों से यह अभियान शुरू हुआ था, जिसमें आज सौ से अधिक लोग जुड़ चुके हैं। हर बार नए-नए सदस्य जुड़ते चले जाते हैं। इसका एक वाट्सएप ग्रुप बनाया गया है। इसमें सभी को जानकारी दी जाती है।