जालंधर के लाजपत नगर इलाके में स्थित श्री राम न्यूरो सेंटर हॉस्पिटल देर रात उस समय हंगामा देखने को मिला जब स्थानीय लोगों और एक मृतक मरीज के परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल ने 4 लाख रुपये का मनमाना बिल थमा दिया और उसका भुगतान न होने तक मरीज का शव सौंपने से साफ इनकार कर दिया। क्या है पूरा मामला? जानकारी के अनुसार रमनदीप नामक एक युवक पिछले कुछ दिनों से अस्पताल में भर्ती था। परिजनों का कहना है कि मंगलवार शाम इलाज के दौरान रमनदीप की मौत हो गई। मौत के बाद जब परिवार ने शव मांगा तो अस्पताल प्रशासन ने रमनदीप के भाई जो एक निजी फैक्ट्री में काम करता है को 4 लाख रुपये का भारी-भरकम बिल थमा दिया। परिजनों का दावा है कि पहले इतने बड़े बिल की कोई जानकारी नहीं दी गई थी और बिल में कई अनियमितताएं थीं। समाजसेवियों के आने पर बैकफुट पर आया अस्पताल जैसे ही इस मामले की सूचना रमनदीप के दोस्तों और कुछ स्थानीय समाजसेवियों को मिली वे तुरंत अस्पताल पहुंचे। इसके बाद अस्पताल परिसर के बाहर जमकर हंगामा शुरू हो गया। समाजसेवियों ने अस्पताल प्रशासन से बिल और शव न देने के मामले पर कड़ी और तीखी बहस की।करीब ढाई घंटे तक चले इस हंगामे के बाद अस्पताल प्रशासन को बैकफुट पर आना पड़ा। अंत 4 लाख रुपये के बिल को घटाकर सिर्फ 50 हजार रुपये में समझौता करने पर सहमति बनी। समझौता होने के बाद ही रमनदीप का शव परिवार वालों को सौंपा गया। 4 लाख का बिल 50 हजार में कैसे हुआ? इस दौरान मौजूद स्थानीय समाजसेवियों ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि यह कोई पहला मामला नहीं है और यह अस्पताल पहले भी विवादों में रह चुका है। जब 4 लाख रुपये का बिल अचानक 50 हजार में निपट गया तो यह सवाल उठना लाज़मी है कि पहले इतने पैसे क्यों माँगे गए थे आजकल कई अस्पताल इलाज से ज़्यादा बिल के नाम पर कारोबार करने लगे हैं। यह साफ तौर पर मनमानी और बिल में गड़बड़ी का मामला है फिलहाल शव परिवार को सौंप दिया गया है लेकिन इस घटना ने निजी अस्पतालों द्वारा इलाज के नाम पर की जा रही कथित लूट पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।


