जालोर के हक का पानी जोधपुर को देने की तैयारी:किसानों के धरने के बाद प्रोजेक्ट रोकने का दिया था आश्वासन; अब टेंडर जारी

इस मानसून सीजन में बांध ओवरफ्लो होने से लूणी नदी तक बहती रही जवाई नदी भविष्य में हमेशा के लिए प्यासी रह सकती है जालोरवासियों को यह आशंका जोधपुर वाली फीडर से सता रही है। दरअसल जवाई बांध से जोधपुर पानी ले जाने के लिए 194 किमी फीडर (नहर) का जीर्णोद्धार प्रस्तावित है। इसके लिए सर्वे हो चुका है और अब डीपीआर के लिए टेंडर भी जारी हो गया है। बता दे इस प्रोजेक्ट के लिए 2024 के बजट में 2280 करोड़ की घोषणा होने के बाद भारतीय किसान संघ के बैनर तले जालोर जिले के बड़ी संख्या में किसानों ने महापड़ाव में कर करीब 27 दिन तक धरना प्रदर्शन किया था। जिसके बाद जालोर विधायक व मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग, सरकार की ओर से इस प्रोजेक्ट को रोकने का आश्वासन दिया था और धरना समाप्त कराया था। इसके बाद भी सरकार ने जालोर की कमजोर राजनीति के चलते फिर गुपचुप सर्वे से लेकर डीपीआर टेंडर तक जारी कर दिया। 23 नवंबर 2023 को सायला में चुनावी सभा में विधायक जोगेश्वर गर्ग ने नदी पुनर्जीवित करने वादा कराया था। लेकिन, इसके बाद आज तक इस जवाई नदीं को पुनर्जीवित करने को लेकर कोई कदम नहीं उठाया गया। इसके अलावा जालोर विधायक व आहोर विधायक ने भी 32 साल पुराने जवाई पुनर्भरण मुद्दे पर पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा नेताओं आहोर विधायक छगन सिंह राजपुरोहित और मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने मांगे थे। अब गर्ग का कहना है- कि महापड़ाव में इस प्रोजेक्ट को रोकने का आश्वासन दिया था, लेकिन जवाई पुनर्भरण में जालोर का ध्यान रखा जाएगा। पुनर्भरण होगा तो जालोर को पानी मिलेगा, उसके अलावा पानी कोई कहीं भी ले जाए उसका अपने से कोई लेना-देना नहीं है। अगर पुनर्भरण की डीपीआर में जालोर को शामिल नहीं किया गया तो जिससे भी लड़ना है मैं लडूंगा। हालांकि दोनों नेताओं ने जोधपुर फीडर के मुद्दे पर वादा नहीं किया था। जवाई बांध के एक तिहाई पानी सहित गर्ग के शपथ पत्र में थीं ये 4 मांगें – पहला : जवाई बांध के पानी का एक तिहाई हिस्सा प्राकृतिक बहाव के लिए नदी में छुड़वाने का प्रयास, जरूरी हुआ तो जल नीति में संशोधन का प्रयास।
– दूसरा : प्राकृतिक बहाव का हिस्सा तय करवाऊंगा।
– तीसरा जवाई पुनर्भरण के तहत साबरमती नदी को जवाई नदी से जुड़वाने का प्रयास करूंगा। चौथा : माही नदी का ओवरफ्लो पानी सिंचाई के लिए जालोर लाने का प्रयास करूंगा। जिले में 95000 हेक्टेयर जमीन सिंचित होती है जवाई बांध के डाउनस्ट्रीम में कुल 187 किमी में जवाई नदी का हिस्सा है। इसमें 30 किमी पाली सिरोही और 157 किमी जालोर जिले में है। इससे जिले के सवा लाख किसानों की 95000 हेक्टेयर जमीन सिंचित होती है। इसमें आहोर, जालोर, भीनमाल और सांचौर विधानसभा क्षेत्र शामिल है। सांचौर के रणोदर में यह लूणी नदी में मिलती है। गणपत राणा, भूजल वैज्ञानिक सायला और बागोड़ा तक ही बहती है। इस वर्ष भरपूर बारिश से लूणी नदी तक पानी पहुंचा। अमूमन जवाई जहां एक महीने तक बहती है तो करीब दोनों ओर 5-5 किमी. तक भूजल स्तर सुधरता है। यही भूजल रिचार्ज का सबसे बड़ा स्रोत भी है। अगर यह नदी सुखती है या प्रवाह पूरी तरह बंद हो जाए तो जालोर के 157 किमी क्षेत्र में भूजल स्तर गिरता जाएगा। प्रोजेक्ट क्या: 80 के दशक की नहर का जीर्णोद्धार होगा जोधपुर में 1976 में इंदिरा गांधी नहर से राजीव गांधी लिफ्ट कैनाल से पानी की सप्लाई शुरू होने के कुछ वर्षों बाद यह नहर बंद कर दी गई थी। 194 किमी. लंबी नहर पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। 10 जुलाई 2024 को परिवर्तित बजट में इस प्रोजेक्ट की घोषणा के बाद विधानसभा में बजट चर्चा के दौरान आहोर विधायक छगनसिंह राजपुरोहित ने इसका विरोध जताया था। जालोर विधायक जोगेश्वर गर्ग ने जल संसाधन मंत्री को पत्र लिखा था। यह खबर भी पढ़ें….जवाई बांध जल बंटवारे की मांग को लेकर महापड़ाव जारी:22वें दिन किसानों ने धरनास्थल पर किया सद्बुद्धि यज्ञ, सरकार से समाधान की मांग की

FacebookMastodonEmail

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *