सतीश कपूर | अमृतसर सड़कों में अकसर ऐसे लोग घूमते रहते है जिनकी दिमागी हालत ठीक नहीं होती। जबकि कई परिवार ऐसे भी होते हैं जो उनका इलाज करवाने में असमर्थ होकर दुत्कार देते हैं। ऐसे लोगों का सहारा बनते हैं तेरा आसरा वेलफेयर सोसायटी के संचालक और दिमाग के डॉक्टर स्नेह सिंघल। पिंगलवाड़ा के संस्थापक भगत पूरन सिंह जी के जीवन से प्रेरित होकर डॉ. स्नेह ने साल 2018 में तेरा आसरा वेलफेयर सोसायटी शुरू की जिसमें अब 100 लोग जुड़ चुके हैं। सोसायटी ने मानसिक रोगियों के लिए वल्ला में आश्रम बनाया है, जहां उनके रहने, खाने-पीने समेत उनका इलाज भी किया जाता है। आश्रम में रहने वाले मरीजों की देखभाल का सारा जिम्मा हरप्रीत सिंह हैप्पी ने संभाल रखा है। मरीजों का इलाज करने वाले डॉ. सिंघल बताते हैं कि वह अकसर पिंगलवाड़ा में चले जाते थे और वहां की संचालक बीबी इंद्रजीत कौर से परिचय होने के बाद ऐसे मरीजों की सेवा करने की ठानी और सफल हो गए। सड़कों पर घूमने वाले दिमागी तौर से परेशान लोगों की सेवा करने उन्हें काफी सुकून मिलता है। वह 7 साल में करीब 421 लोगों को ठीक कर चुके हैं। डॉ. सिंघल बताते हैं कि दिमागी हालत ठीक न होने वालों सड़कों से लेकर जाने से पहले पुलिस और आसपास के लोगों को बताना जरूरी होता है। ऐसे लोगों को गाड़ी में बैठाकर वह आश्रम तक पहुंचते हैं। इनमें कई मरीज ऐसे होते हैं जिन्हें कई जख्म हो जाते हैं। उनके जख्मों की साफ करके महरम पट्टी करना, नहलाना, साफ कपड़े पहनाना, समय पर खाना और दवाइयां देना दिनचर्या में शामिल है। डॉ. सिंघल बताते हैं कि इस समय आश्रम में 47 मरीज हैं। इनमें से कई मरीज ऐसे हैं जो ठीक होकर अब दूसरे मरीजों की सेवा करते हैं। इससे पहले डॉ. सिंघल गुरु रामदास अस्पताल और मेंटल अस्पताल में 4-4 साल सेवाएं दे चुके हैं। डॉ. सिंघल के मुताबिक, अमृतसर के अटारी, लोपोके, राजासांसी, चौगावा, तरनतारन, बटाला और गुरदासपुर के करीब 44 लोगों को बंधक से मुक्त करवाकर इलाज किया। मेंटली अपसेट लोगों कोे किसान या अन्य लोग अपने घरों में बंधक बनाकर रखते थे। ऐसे मरीजों से यह लोग घरों और खेतों में काम करवाते रहते हैं। जब सोसायटी के सदस्यों को पता चला तो उन्होंने पुलिस और गांव के सरपंचों की मदद से बंधक को छुड़ाकर उनका इलाज किया। आश्रम में मरीजों के खाने पीने का काफी सामान लोग खुद भेज देते हैं। हरेक मरीज के इलाज पर 1 हजार खर्च आता है।