जून से दीपावली तक रेपो रेट में 0.50% कटौती तय:इससे होम-ऑटो लोन और सस्ते होंगे, खपत भी बढ़ेगी; दो और कटौती से 5.50% रह जाएगी

आम आदमी को जल्द और राहत मिलने वाली है। अगले महीने जून से दीपावली तक आरबीआई की तरफ से रेपो रेट में 0.50% की कटौती तय है। मामले से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, RBI की मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक 4-6 जून तक होनी है। इससे पहले ही रेपो रेट में 0.25% की कटौती पर सहमति बन गई है। इसके बाद 5-7 अगस्त या 29 सितंबर से 1 अक्टूबर को होने वाली बैठक में भी इतनी ही और कटौती हो सकती है। यह एक तरह से दीपावली का तोहफा होगा, क्योंकि उसी महीने 20 तारीख को दीपावली है। रेपो रेट घटने से इससे जुड़े होम और कार लोन सस्ते होंगे। इंडस्ट्री को सस्ता लोन मिलने लगेगा। इससे न सिर्फ शहरी खपत को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि कारखानों में निवेश बढ़ने से रोजगार भी पैदा होगा। RBI ने फरवरी से रेपो रेट में कटौती शुरू की थी। तबसे दो बैठक में 0.50% की कटौती हो चुकी है। इससे रेपो रेट गिरकर 6% पर आ गई है। हर दो महीने में होती है RBI की मीटिंग मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी में 6 सदस्य होते हैं। इनमें से 3 RBI के होते हैं, जबकि बाकी केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। RBI की मीटिंग हर दो महीने में होती है। बीते दिनों रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2025-26 की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठकों का शेड्यूल जारी किया था। इस वित्तीय वर्ष में कुल 6 बैठकें होंगी। पहली बैठक 7-9 अप्रैल को हुई थी। सभी फैक्टर रेट कट के लिए बिल्कुल मुफीद
एसबीआई सिक्युरिटीज के डिप्टी वाइस प्रेसीडेंट सनी अग्रवाल ने बताया कि सभी फैक्टर रेट कट के लिए बिल्कुल मुफीद हैं। मानसून सामान्य रहने के आसार हैं। जीडीपी ग्रोथ स्थिर है। महंगाई काबू में है। रिटेल महंगाई जुलाई 2019 के बाद निचले स्तर पर है। पिछली बैठक में आरबीआई गवर्नर ने भी संकेत दिए थे कि महंगाई काबू में रहती है तो दरें और घट सकती हैं। इससे रियल एस्टेट और ऑटो सेक्टर को बूस्ट मिलेगा। रेपो रेट क्या है, इससे लोन कैसे सस्ता होता है? RBI जिस ब्याज दर पर बैंकों को लोन देता है उसे रेपो रेट कहते हैं। रेपो रेट कम होने से बैंक को कम ब्याज पर लोन मिलेगा। बैंकों के लोन सस्ता मिलता है, तो वो अकसर इसका फायदा ग्राहकों को पास कर देते हैं। यानी, बैंक भी अपनी ब्याज दरें घटा देते हैं। रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाता और घटाता क्यों है? किसी भी सेंट्रल बैंक के पास पॉलिसी रेट के रूप में महंगाई से लड़ने का एक शक्तिशाली टूल है। जब महंगाई बहुत ज्यादा होती है, तो सेंट्रल बैंक पॉलिसी रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है। पॉलिसी रेट ज्यादा होगी तो बैंकों को सेंट्रल बैंक से मिलने वाला कर्ज महंगा होगा। बदले में बैंक अपने ग्राहकों के लिए लोन महंगा कर देते हैं। इससे इकोनॉमी में मनी फ्लो कम होता है। मनी फ्लो कम होता है तो डिमांड में कमी आती है और महंगाई घट जाती है। इसी तरह जब इकोनॉमी बुरे दौर से गुजरती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में सेंट्रल बैंक पॉलिसी रेट कम कर देता है। इससे बैंकों को सेंट्रल बैंक से मिलने वाला कर्ज सस्ता हो जाता है और ग्राहकों को भी सस्ती दर पर लोन मिलता है। ……………….. RBI से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… 10 साल के बच्चे खोल सकेंगे बैंक अकाउंट: RBI का बड़ा फैसला, बिना पेरेंट्स के चला सकेंगे अपना बैंक अकाउंट भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बच्चों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जिससे बच्चों को वित्तीय जिम्मेदारी और बैंकिंग के बुनियादी ज्ञान में एक नई दिशा मिलेगी। अब 10 साल और उससे अधिक उम्र के बच्चे बिना गार्जियन (अभिभावक) के भी अपना बैंक अकाउंट खोल सकते हैं और उसे ऑपरेट कर सकते हैं। पूरी खबर पढ़ें…

FacebookMastodonEmail

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *