जेठ जतरा में बोले मंत्री- परंपरा से ही समाज होगा मजबूत

भास्कर न्यूज|लोहरदगा जिले के भक्सो गांव में गुरुवार को सरहुल पर्व के मौके पर आयोजित ऐतिहासिक इन्टर पड़हा जेठ जतरा में झारखंड सरकार के अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री चमरा लिंडा शामिल हुए। उन्होंने विशाल जनसमूह को संबोधित करते हुए आदिवासी इतिहास, पड़हा व्यवस्था और जतरा की परंपरा पर विस्तार से बात की। मंत्री लिंडा ने कहा कि जेठ जतरा केवल सांस्कृतिक उत्सव नहीं, बल्कि वह परंपरा है, जहां आदिवासी समाज अपने नियम, कानून और संविधान खुद बनाता था। जैसे संसद और विधानसभा में कानून बनते हैं, वैसे ही जतरा में समाज के लोग मिलकर फैसले लेते थे। उन्होंने बताया कि जतरा के दौरान पड़हा राजा, सामाजिक अगुआ, पाहन और पुरखा रात भर बैठकों में समाज की समस्याओं पर चर्चा करते थे। खेती-बाड़ी, बाजार, धर्म-कर्म, पढ़ाई, रोजगार और स्वास्थ्य जैसे मुद्दे उठाए जाते थे। मंत्री ने 5 पड़हा, 11 पड़हा और 21 पड़हा समेत सभी पड़हा राजाओं की ऐतिहासिक भूमिका को याद किया। उन्होंने कहा कि लोहरदगा में जेठ महीने में लगने वाला जतरा मेला पूरे झारखंड के आदिवासी समाज को एकजुट करता था। उन्होंने आदिवासी शिक्षा प्रणाली “धूमकुड़िया” का भी उल्लेख किया। इसे आदिवासी सभ्यता और संस्कृति के क्रियान्वयन का केंद्र बताया। मंत्री ने चिंता जताई कि आज समाज में पहले जैसी एकता और सहयोग की भावना नहीं रही। इसी कारण समस्याएं बढ़ रही हैं।मंत्री लिंडा ने कहा कि हमारे पूर्वज- उरांव, मुंडा और खड़िया समाज- आज़ादी से पहले उत्तरी छोटानागपुर के जंगलों में आए और उसे रहने लायक बनाया। यह हमारे इतिहास का गौरव है, जिसे संजोना जरूरी है। अंत में उन्होंने सभी से अपील की कि अपनी धर्म, संस्कृति, प्रथा और परंपराओं को बचाना आज की सबसे बड़ी जरूरत है। यही समाज और समस्त जगत के कल्याण का मार्ग है। मौके पर काफी संख्या में समाज के लोग मौजूद थे।

FacebookMastodonEmail

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *