राजस्थान स्टेट कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमीशन की जोधपुर बेंच ने जोधपुर विकास प्राधिकरण (JDA) की लापरवाही पर सख्त रुख अपनाते हुए सैनिक की विधवा पत्नी को बड़ी राहत दी है। आयोग के न्यायिक सदस्य सुरेंद्र सिंह और सदस्य लियाकत अली ने जिला आयोग के उस फैसले को भी पलट दिया, जिसमें तकनीकी आधार पर परिवाद खारिज कर दिया गया था। आयोग ने जेडीए को निर्देश दिया है कि वह अपीलार्थी समद कंवर को विवेक विहार योजना में आवंटित प्लॉट का आवंटन पत्र जारी करे। यदि वह प्लॉट उपलब्ध नहीं है, तो उसी योजना या समान योजना में उसी साइज का दूसरा प्लॉट तत्कालीन दरों (2011 की दर) पर दिया जाए। साथ ही, 30 हजार रुपये का हर्जाना भी देने का आदेश दिया है। जेडीए कर्मचारियों ने महिला को बना दिया पुरुष जैसलमेर के पोकरण तहसील के ग्राम एका निवासी समद कंवर (भूतपूर्व सैनिक स्व. दलपत सिंह की पत्नी) ने वर्ष 2011 में जेडीए की विवेक विहार आवासीय योजना में सैनिक कोटे (विधवा श्रेणी) में आवेदन किया था। 9 सितंबर 2011 को लॉटरी निकली, जिसमें उनका चयन भी हो गया। उन्हें सेक्टर ‘एम’ में प्लॉट नंबर 671 आवंटित हुआ। लेकिन जेडीए के कर्मचारियों ने कंप्यूटर रिकॉर्ड में ‘समद कंवर’ की जगह पुरुष नाम ‘समंदर सिंह भाटी’ लिख दिया। जेडीए के चक्कर काटे, फिर जिला उपभोक्ता आयोग में परिवाद परिवादिया ने 10 सितंबर 2011 को ही नाम सुधार के लिए आवेदन दे दिया था, लेकिन जेडीए ने न तो नाम सुधारा और न ही आवंटन पत्र जारी किया। परेशान होकर समद कंवर ने 9 सितंबर 2022 को जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, जोधपुर द्वितीय में परिवाद दर्ज कराया था। उन्होंने शिकायत में कहा था कि JDA ने लिपिकीय त्रुटि सुधारने से इनकार कर दिया और न ही एलॉटमेंट लेटर जारी किया। जिला उपभोक्ता आयोग ने 4 अप्रैल 2024 को उनकी शिकायत को परिसीमा (limitation) के बिंदु पर खारिज कर दिया था, हालांकि गुणावगुण पर आयोग ने यह पाया था कि लॉटरी द्वारा भूखंड का एलॉटमेंट होने के बाद JDA ने उक्त एलॉटमेंट को मनमाना, नाजायज और विधि विरुद्ध तरीके से निरस्त किया है। इसी योजना में समान केस में राहत का संदर्भ समद कंवर के वकील लक्ष्मीनारायण बिस्सा ने अपीलार्थी की ओर से तर्क दिया कि समान तथ्यों के आधार पर राजस्थान स्टेट कंज्यूमर डिस्प्यूट कमीशन की सर्किट बेंच जोधपुर ने उग्मा देवी बनाम जोधपुर विकास प्राधिकरण में 11 मई 2022 को अपील स्वीकार करते हुए इसी आवासीय योजना में प्लॉट नंबर 699 परिवादी को दो माह में देने का आदेश दिया था। वकील ने तर्क दिया कि परिसीमा के बिंदु पर अपील को खारिज नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि वादकारण लगातार चल रहा है। इस तर्क के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट की सिविल अपील समृद्धि कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी लिमिटेड बनाम मुंबई महालक्ष्मी कंस्ट्रक्शन प्रा. लि. में 11 जनवरी 2022 को पारित निर्णय पेश किया गया। जेडीए का तर्क: नियम और देरी का हवाला जेडीए ने आयोग में तर्क दिया कि परिवादिया के पति की मृत्यु सेना से रिटायर होने के बाद हुई थी, जबकि आरक्षण केवल युद्ध में शहीद सैनिकों की विधवाओं के लिए था। इसके अलावा, परिवाद 2 साल की मियाद के भीतर पेश नहीं किया गया, इसलिए इसे खारिज किया जाना चाहिए। आयोग की सख्त टिप्पणी: तकनीकी आधार पर न्याय नहीं रोक सकते कमीशन ने स्पष्ट किया कि सेवानिवृत्त सैनिक की विधवा को भी सैनिक आरक्षण कोटे के लिए योग्य अभ्यर्थी माना जाना चाहिए। कमीशन ने कहा कि JDA को मात्र तकनीकी आधार पर परिसीमा के बिंदु पर शिकायत को खारिज नहीं करना चाहिए था। परिवादी ने जानबूझ कर शिकायत विलंब से पेश नहीं की है। राज्य आयोग ने जेडीए की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि समान मामले (उगमा देवी बनाम जेडीए) में पहले ही फैसला दिया जा चुका है। कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा – “विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग को मात्र तकनीकी आधार पर परिसीमा के बिंदु पर परिवाद को खारिज नहीं करना चाहिए। परिवादिया ने जानबूझ कर परिवाद विलम्ब से पेश नहीं किया है। जेडीए ने न तो नाम सुधारा और न ही पंजीकरण राशि लौटाई, इसलिए ‘वादकारण’ (Cause of Action) लगातार जारी है”। अमानत राशि जब्त करना गलत आयोग ने यह भी कहा कि अगर जेडीए को आवंटन रद्द करना था, तो उसे पंजीकरण राशि (5000 रुपये) लौटानी चाहिए थी। बिना किसी कारण के राशि जब्त करना और नाम में सुधार न करना अनुचित है। फैसले के मुख्य बिंदु


