जोधपुर में 565 साल पुरानी धींगा गवर परंपरा बुधवार रात मनाई जाएगी। परंपरा की पवित्रता बनाए रखने के लिए बाहरी युवकों, डीजे और स्टेज पर रोक रहेगी। पुलिस ने आज शहर का जायजा लेकर सभी स्टेज और डीजे हटवा दिए। शहर के 40 स्थानों पर गणगौर माता विराजमान होंगी। एक दिन पहले स्वर्णाभूषणों से सजी तिजणियां (पूजा करने वाली महिलाएं) पदम सागर पहुंचीं। यहां से गवर माता के लिए जल भरा। इस दौरान तिजणियों के साथ पारंपरिक ढोल-नगाड़ों की मधुर थाप थी। धींगा गवर उत्सव से पहले हुए भोळावणी मेले में महिलाओं और युवतियों से छेड़छाड़ की घटनाओं ने भीतरी शहर में रोष पैदा कर दिया। इसके बाद पुलिस प्रशासन और महिला उत्सव समितियों की बैठक में कई अहम फैसले लिए गए। मटरगश्ती नहीं, यह पूजा का त्योहार
बैठक में महिला प्रतिनिधि अनुराधा बोड़ा ने कहा- यह उत्सव मटरगश्ती के लिए नहीं है। हम गवर माता की पूजा करती हैं। हमारी संस्कृति को समझें, फिर टिप्पणी करें। भगवान के उत्सव का बाजारीकरण और अश्लीलता स्वीकार नहीं की जाएगी। स्टेज-डीजे पर लगी पाबंदी
बैठक में राखी व्यास ने बताया कि सभी तिजणियों ने स्टेज पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग की है। इससे न रास्ता रुकेगा और न ही अव्यवस्था होगी। उन्होंने पुलिस प्रशासन से इस प्रयोग को लागू करने का आग्रह किया। पुलिस ने भी इस पर सहमति जताई है। गवर माता के गीत प्रस्तुत करेंगी तिजणियां
राखी व्यास ने बताया- धींगा गवर उत्सव के तहत हाथी चौक, चाचा की गली और ब्रह्मपुरी में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। जूनी मंडी, पुंगलपाड़ा, सुनारों की घाटी, जालप मोहल्ला, कबूतरों का चौक, आडा बाजार, खांडा फलसा सहित अनेक स्थानों पर गवर माता विराजित होंगी। यहां तिजणियां पहुंचकर गवर माता के गीत प्रस्तुत करेंगी। 16 दिन के पूजन का समापन होगा
राखी व्यास ने बताया- महिलाएं समूह में देवी-देवताओं और गवर-ईसर के स्वांग रचकर हाथ में छड़ी लेकर सगे-संबंधियों के यहां जाकर गवर गीत का गायन करेंगी। रात में कई मोहल्लों में तिजणियां चार प्रहर में गवर माता की आरती करेंगी। अंतिम आरती के बाद भोळावणी के साथ 16 दिन के पूजन का समापन होगा। 565 साल पुरानी परंपरा की कहानी…


