झारखंड में दो साल में एमएसएमई की संख्या दो साल में 3.76 लाख से बढ़कर 13 लाख पार, 45 लाख लोगों को मिला है रोजगार

झारखंड के जीएसडीपी में एमएसएमई का योगदान 15 से 25%, यह राष्ट्रीय औसत से कम झारखंड में सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग (एमएसएमई) तेजी से बढ़ रहे हैं। दो साल पहले राज्य में एमएसएमई इकाइयों की संख्या 3.76 लाख थी। अब यह आंकड़ा बढ़कर 13 लाख को पार कर चुका है। यानी साढ़े तीन गुना की बढ़ोतरी हुई है। इस साल मार्च तक इसकी संख्या 12 लाख थी। इन उद्योगों से करीब 45 लाख लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला है। दरअसल केंद्र सरकार ने रैंप योजना के तहत प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग आदि के लिए 70 करोड़ रुपए राज्य सरकार को उपलब्ध कराया है। इसके बाद चालू वित्त वर्ष में इस क्षेत्र में तेजी से काम हो रहा है। जिलों में उद्यम कैंप लग रहे हैं, जहां उद्योगों का ​रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है। कुछ साल पहले तक एमएसएमई क्षेत्र में झारखंड काफी पीछे था। लेकिन जिस तेजी से इसने रफ्तार पकड़ी है, वह उत्साहजनक है। हालांकि झारखंड की जीडीपी में एमएसएमई का कितना योगदान है, इसकी कोई आधिकारिक रिपोर्ट नहीं है। न ही आर्थिक सर्वेक्षण में इसे दर्शाया गया है। दो साल पहले सूक्ष्म और लघु उद्योगों की संख्या में 34 हजार की गिरावट आई थी, जबकि मध्यम उद्योग बढ़े थे। भारत में एमएसएमई का जीडीपी में योगदान करीब 30 फीसदी है। ऐसे में एक अनुमान के अनुसार झारखंड के जीएसडीपी में एमएसएमई का योगदान 15 से 25 फीसदी के बीच हो सकता है। वैसे यह राष्ट्रीय औसत से कम है। आर्थिक मामले के जानकारों का कहना है कि एमएसएमई झारखंड की अर्थव्यवस्था का मुख्य स्तंभ बन सकता है। क्योंकि यह न केवल रोजगार सृजित करता है, बल्कि राज्य के औद्योगिक विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। इसी को देखते हुए सूक्ष्म और लघु उद्योगों को पुनर्जीवित करने और मध्यम इकाइयों को बढ़ावा दिया जा रहा है। कहां कितना योगदान… मौजूदा स्थिति प्रतिशत विश्व स्तर पर रोजगार में योगदान 50 विश्व स्तर पर जीडीपी में योगदान 50 चीन में रोजगार में योगदान 80 चीन में जीडीपी में योगदान 80 भारत में जीडीपी में योगदान 30 उद्यमियों को दी जाएगी ट्रेनिंग… 50 हजार रजिस्ट्रेशन का लक्ष्य एमएसएमई के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के उपाय किए जा रहे हैं। जिलों में उद्यम पोर्टल के साथ ही ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन देने की तैयारी है। उद्यमियों को नामी-गिरामी बिजनेस संस्थानों में ट्रेनिंग देने की रूपरेखा भी तय की गई है। चालू वित्त वर्ष में कैंप लगाकर 50 हजार ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन का लक्ष्य रखा गया है। टेक्नोलॉजी अपडेट का काम भी चल रहा है। मार्केटिंग लिंकेज और ब्रांडिंग के लिए कैसे काम हो, इसकी रूपरेखा भी बनाई गई है। जीरो इफेक्ट, जीरो डिफेक्ट पॉलिसी पर भी काम हो रहा है।

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