बिरसा मुंडा बस टर्मिनल, खादगढ़ा के निर्माण पर 15 करोड़ की लागत आई है। यहां से हर दिन 350 से अधिक बसें अलग-अलग जगहों के लिए खुलती हैं। रोज यहां से 14 से 15 हजार यात्री अपने गंतव्य स्थान के लिए प्रस्थान करते हैं और आते हैं। लेकिन यहां यात्री सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है। कहने को तो बस स्टैंड के आलीशान भवन में टिकट काउंटर, पूछताछ काउंटर और शौचालय सभी कुछ बने हुए हैं। लेकिन विडंबना यह है कि टिकट काउंटर से टिकट बुक नहीं होती और न ही बिक्री होती है। टिकट काउंटर को बस ड्राइवरों ने शयन कक्ष बना लिया है। काउंटर के सामने दुकान लगा कर बिस्किट, चिप्स आदि बेचे जाते हैं। पूछताछ काउंटर में भी सोए रहते हैं बसों के चालक-खलासी बस टर्मिनल में यात्रियों की सुविधा के लिए एक पूछताछ केंद्र भी बनाया गया है। लेकिन इस केंद्र में जानकारी देने के लिए कोई नहीं रहता। इसका भी ड्राइवर व खलासी सोने के लिए इस्तेमाल करते हैं। वेटिंग एरिया और बस में चढ़ने के लिए बने रैंप को बाइक स्टैंड बना दिया है। टर्मिनल के कॉरिडोर में यात्रियों के बीच घूमते रहते हैं जानवर बारिश में बस स्टैंड के टिकट काउंटर और पूछताछ केंद्र के सामने के परिसर में जानवर घूमते रहते हैं। कभी वहां गाय तो कभी श्वान बैठा हुआ मिल जाता है। टिकट काउंटर के सामने फुटपाथ दुकानदार दुकान खोल कर बैठ जाते हैं। जिन्हें न कोई देखने वाला है और न ही टोकने वाला। कॉरिडोर में भी बाइक खड़ी कर दी, यात्रियों के बीच से बाइक चलाकर जा रहे हैं।