टीएस सिंहदेव का पुतला दहन, FIR कराने थाने में आवेदन:राममंदिर पर दिए गए बयान को बवाल, भाजपा ने खोला मोर्चा, कहा-सौहाद्र बिगाड़ने की कोशिश

पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव द्वारा कांग्रेस की बैठक में दिए गए बयान को लेकर भाजपा ने मोर्चा खोल दिया है। भाजपाईयों ने टीएस सिंहदेव का पुतला दहन किया और टीएस सिंहदेव के बयान को हिंदू विरोधी मानसिकता बताते हुए जमकर नारेबाजी की। भाजपाइयों ने रैली निकाली एवं कोतवाली थाने पहुंच FIR के लिए आवेदन सौंपा। बीजेपी ने टीएस सिंहदेव के बयान का वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर कुछ घंटे पहले ट्वीट किया था। पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने एक सप्ताह पूर्व कांग्रेस की बैठक में राममंदिर भूमि विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लेकर बयान दिया था। सिंहदेव के बयान को बीजेपी छत्तीसगढ़ ने हिंदू विरोधी मानसिकता बताते हुए सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर 16 दिसंबर की शाम पोस्ट किया। BJP ने पोस्ट में लिखा- कांग्रेस की एक बार फिर से हिंदू विरोधी मानसिकता सामने आई है। कांग्रेस के पूर्व उप-मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव हमारे अराध्या देव श्रीराम पर विवादित टिप्पणीकर रहे हैं। क्या यह सही है? FIR करने की मांग, पुतला फूंका
टीएस सिंहदेव के बयान को लेकर हिंदू जागरण मंच के जिला संयोजक निलेश सिंह के नेतृत्व में रैली निकालकर भाजपा कार्यकर्ता बड़ी संख्या में कोतवाली थाने पहुंचे एवं थानेदार को ज्ञापन सौंप एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। थाने से रैली निकालकर नारे लगाते हुए भाजपा कार्यकर्ता कलेक्टोरेट चौक पहुंचे। कलेक्टोरेट चौक में भाजपा नगर मंडल अध्यक्ष मधुसूदन शुक्ला के नेतृत्व में भाजपाइयों ने टीएस सिंहदेव का पुतला फूंका। नीलेश सिंह ने कहा कि टीएस सिंहदेव द्वारा सुप्रीम कोर्ट के फैसले को गलत तरीके से प्रस्तुत कर आम जनों में अविश्वास की भावना फैलाई जा रही है और समुदाय विशेष के लोगों को खुश करने के लिए हमारी धार्मिक आस्था पर कुठाराघात करने का प्रयास किया गया है। इसकी जितनी निंदा की जाए कम है। प्रदर्शन में अंबिकेश केशरी, विनोद हर्ष, मंजूषा भगत, अजय प्रताप सिंह, गोल्डी बिहाड़े, विकास वर्मा सहित बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता उपस्थित थे। क्या बोले टीएस-जिसे लेकर विवाद
टीएस सिंहदेव का वायरल वीडियो एक सप्ताह पूर्व कांग्रेस के बैठक के दौरान टीएस सिंहदेव ने कहा था कि राममंदिर एवं बाबरी मस्जिद के प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जो फैसला सुनाया गया, उसमें किसी जज के हस्ताक्षर नहीं थे। उस समय जो विशेष और विषम परिस्थिति बन गई थी, एकबारगी उसे थामने के लिए, रोकने के लिए पांच जजों की बेंच ने ये फैसला किया। सारे देश में विद्मान नियम व कानून, संविधान के प्रावधान के खिलाफ ये फैसला सुनाया गया।

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