छठी क्लास की छात्रा को टीचर ने उसकी मां के सामने डांट दिया तो 13 साल की छात्रा ने फंदा लगा कर आत्महत्या कर ली। ये घटना बुधवार दोपहर 2:30 बजे जंडियाली इलाके में हुई है। लड़की की पहचान चांदनी(13) पुत्री जुम्मन राम के रूप में हुई। थाना फोकल पॉइंट के जांच अधिकारी अविनाश कुमार ने बताया कि मृतक चांदनी सरकारी स्कूल की छठी की छात्रा थी। उसके स्कूल में बुधवार को पेरेंट्स टीचर मीटिंग थी। चांदनी अपनी मां रूपमाला देवी के साथ स्कूल गई थी। टीचर ने चांदनी को पढ़ाई में कमजोर बताते हुए, उसकी मां के सामने डांट दिया। इसके बाद मां-बेटी घर आए। घर आकर मां फैक्ट्री में काम करने चली गई। शाम को जब चांदनी के माता-पिता घर पहुंचे तो उन्होंने घर में चांदनी को फंदे से लटकते हुए पाया। वीरवार को पोस्टमार्टम के बाद शव को परिजनों को सौंप दिया गया। वहीं, चांदनी के पिता जुम्मन ने पुलिस को बताया कि वह बिहार से कुछ साल पहले ही लुधियाना में आए हैं। वे खाद बनाने की फैक्ट्री में काम करते हैं। घटना के वक्त वह काम पर ही थे। उनकी बेटी स्वभाव से गुस्सैल थी। टीचर की डांट के बाद परेशान होकर फंदा लगाया है। वहीं पुलिस ने परिजनों के बयान दर्ज करते हुए 194 बीएनएस की धारा के तहत कार्रवाई की है। डॉ. प्रियंका कालराचाइल्ड एंड एडोलसेंट स्पेशलिस्ट, कंसल्टेंट साइकेट्रिस्ट बच्चों में सुसाइड के विचार आना बड़ी समस्या बनती जा रही है। दरअसल, 11-12 साल की उम्र में बच्चे इतने परिपक्व नहीं होते कि नतीजों के बारे में ज्यादा सोच पाएं। वे बस कदम उठा लेते हैं। बच्चा अगर सुसाइड कर ले तो उसे दोषी कहना सही नहीं होगा। मैं इसे माता-पिता की गलती मानती हूं। पैरेंट्स को कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए, जो इस प्रकार हैं… व्यवहार बदलना पहला लक्षण… -बच्चे के व्यवहार में बदलाव सबसे बड़ा लक्षण है। अगर बच्चा एकदम चुप रहने लगा है, चिढ़चिढ़ा हो गया है या दोस्तों के साथ समय बिताना पसंद नहीं कर रहा, तो ये बताता है कि बच्चा किसी बड़ी समस्या से जूझ रहा है। ऐसे ही बच्चे सुसाइड का रास्ता चुन सकते हैं। {हार को अपनाना सिखाएं… -पैरेंट्स बच्चों को खेल में हार, पढ़ाई या क्लासरूम में आने वाली हर समस्या को अपने हाथों में लेकर उसे हल करने की कोशिश में लग जाते हैं। यह बड़ी गलती है। बच्चे को अपनी हार या क्लास की छोटी समस्या को अपने स्तर पर हल करने दें। इससे बच्चा सीख जाएगा कि खुद स्थिति को कैसे संभालना है। {किशोर तुरंत एक्शन लेते हैं… -किशोरावस्था में बच्चों का दिमाग लॉजिकली कम सोचता है। इसलिए वे तुरंत एक्शन लेते हैं। इसलिए वे आत्महत्या का फैसला भी ले सकते हैं। {सोशल मीडिया पर ध्यान दें -बच्चे कई बार इस तरह का कदम उठाने से पहले सोशल मीडिया पर कुछ न कुछ पोस्ट कर लेते हैं। वे अपने स्टेट्स या एक्टिविटी के जरिए भी बताते हैं कि वे चिंता में हैं या अपनी बात रखना चाहते हैं। पेरेंट्स उनकी इन गतिविधियों से उनकी मनोस्थिति समझ सकते हैं। {रोज समय दें और कनेक्शन बनाएं -पेरेंट्स की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है कि रोजाना कुछ समय अपने बच्चों के साथ जरूर बिताएं। आज के समय में अधिकतर पैरेंट्स वर्किंग हैं। ऐसे में काम से लौटने पर फोन को अलग रखें और बच्चों से बातें करें। दिन की एक्टिविटी, क्लास, ट्यूशन, स्पोर्ट्स ग्राउंड या दोस्तों के साथ क्या किया, इसके बारे में पूछें। बच्चों के साथ कनेक्शन बनाना बहुत जरूरी है, जो उनसे लगातार बात करने से ही संभव है।