भास्कर न्यूज| लुधियाना युवाओं में टैटू का क्रेज तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन सस्ते और अनप्रोफेशनल टैटू आर्टिस्ट्स के चक्कर में कई लोग स्किन संबंधी गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे हैं। टैटू के कारण एलर्जी, इंफेक्शन और केलॉयड जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। स्किन एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह समस्या अधिकतर जागरूकता की कमी और घटिया सामग्री के इस्तेमाल से हो रही है। टैटू बनवाने के दौरान स्वच्छता पर ध्यान न देना भी इन मामलों में प्रमुख भूमिका निभा रहा है। टैटू बनवाने से पहले स्टूडियो की स्वच्छता, स्याही की गुणवत्ता और आर्टिस्ट की प्रामाणिकता की जांच करना बेहद जरूरी है। टैटू एक फैशन ट्रेंड जरूर है, लेकिन इससे जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं से बचने के लिए जागरूक रहना अनिवार्य है। डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. रोहित रामपाल के अनुसार, टैटू बनवाने के दौरान इस्तेमाल होने वाली स्याही और उपकरणों की गुणवत्ता का ध्यान न रखना संक्रमण और एलर्जी का सबसे बड़ा कारण है। उन्होंने बताया कि टैटू स्याही में कई ऐसे रसायन मौजूद होते हैं, जो एलर्जी का कारण बनते हैं। सस्ते टैटू आर्टिस्ट्स के पास जाने से न केवल डिजाइन खराब होता है, बल्कि स्वच्छता की कमी से गंभीर स्किन समस्याएं भी हो सकती हैं। अनुभवी आर्टिस्ट्स से ही टैटू बनवाएं। साथ ही, टैटू के बाद दी गई देखभाल के निर्देशों का सख्ती से पालन करें। डॉ. राविका बुद्धिराजा ने बताया कि टैटू इंक कई बार शरीर में हाईपरसेंसिटिविटी रिएक्शन उत्पन्न कर सकती है। इस स्थिति में त्वचा पर घाव बन जाते हैं और टैटू को हटाना बेहद मुश्किल हो जाता है। उन्होंने कहा कि टैटू हटाने के लिए लेजर ट्रीटमेंट भी तभी संभव है, जब त्वचा पूरी तरह से ठीक हो। कई बार इलाज में लंबा समय लगता है और समस्या दोबारा शुरू हो सकती है। केस 1: स्किन एलर्जी और टैटू हटाने की नौबत: 25 वर्षीय युवक ने अपनी बाजू पर एक बड़ा टैटू बनवाया। टैटू बनवाने के कुछ दिनों बाद उसकी त्वचा पर खुजली और लाल चकत्ते होने लगे। समस्या इतनी बढ़ गई कि उसे तुरंत डॉक्टर के पास जाना पड़ा। डॉक्टर ने उसे एंटी-स्टेरॉयड और दवाइयां दीं, जिससे एलर्जी का इलाज हुआ। लेकिन, टैटू के डिज़ाइन में खराबी और त्वचा पर हो रही जलन को देखते हुए अंततः टैटू को हटाना पड़ा। सस्ते के चक्कर में बिना जांचे परखे टैटू बनवाने को खामियाजा भुगतना पड़ा। केस 2: टैटू इंक से केलॉयड और सात महीने का इलाज: 29 वर्षीय युवक को टैटू बनवाने के कुछ दिनों बाद टैटू वाली जगह पर सूजन और दर्द महसूस हुआ। जांच के बाद डॉक्टर ने बताया कि स्याही के रसायन के कारण उसे गंभीर एलर्जी और संक्रमण हो गया है। टैटू वाली जगह पर केलॉयड बन गया, जिसे इंजेक्शन और दवाइयों के जरिए ठीक किया गया। इलाज में सात महीने का लंबा समय लगा। एक नामी स्टूडियो से टैटू बनवाया था, लेकिन उपकरणों की साफ-सफाई में कमी के कारण यह समस्या हुई।