मार्केट वैल्यूएशन के लिहाज से देश की टॉप-10 कंपनियों में से 5 की मार्केट वैल्यू इस हफ्ते के कारोबार में 60,677 करोड़ रुपए बढ़ी है। वहीं, 5 की वैल्यू 39,610 करोड़ रुपए कम हुई है। इस दौरान सरकारी बैंक SBI की वैल्यू 20,446 करोड़ रुपए बढ़कर 7.63 लाख करोड़ रुपए और HDFC की वैल्यू ₹14,084 करोड़ रुपए से बढ़कर ₹15.28 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गई है। LIC की वैल्यू ₹15,307 करोड़ घटकर ₹5.62 लाख करोड़ हुई इधर, लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया LIC के शेयरों में इस बार बिकवाली रही और इसकी वैल्यू ₹15,307 करोड़ कम होकर ₹5.62 लाख करोड़ पर आ गई है। इस दौरान बजाज फाइनेंस की वैल्यू 9,601 करोड़ रुपए घटकर ₹5.36 लाख करोड़ पर आ गई है। गुरुवार को 58 अंक चढ़कर बंद हुआ था बाजार इस हफ्ते के आखरी कारोबारी दिन गुरुवार, 14 अगस्त को शेयर बाजार तेजी रही। सेंसेक्स 58 अंक की बढ़त के साथ 80,598 के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी में 12 अंक की तेजी रही, ये 24,631 पर बंद हुआ। सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 13 में तेजी और 17 में गिरावट है। जोमैटो, इंफोसिस और एशियन पेंट्स के शेयरों में तेजी रही। टाटा स्टील, टेक महिंद्रा, अडाणी पोर्ट्स और BEL में गिरावट रही। निफ्टी के 50 शेयरों में से 21 में तेजी और 29 में गिरावट रही। NSE के मेटल, रियल्टी और ऑयल एंड गैस इंडेक्स गिरे। वहीं, IT, फार्मा, बैंकिंग और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स चढ़कर बंद हुए। मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है? मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, उनकी वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की कुल संख्या को उनकी कीमत से गुणा करके किया जाता है। इसे एक उदाहरण से समझें… मान लीजिए… कंपनी ‘A’ के 1 करोड़ शेयर मार्केट में लोगों ने खरीद रखे हैं। अगर एक शेयर की कीमत 20 रुपए है, तो कंपनी की मार्केट वैल्यू 1 करोड़ x 20 यानी 20 करोड़ रुपए होगी। कंपनियों की मार्केट वैल्यू शेयर की कीमतों के बढ़ने या घटने के चलते बढ़ता-घटता है। इसके और कई कारण हैं… 1. मार्केट कैप के बढ़ने का क्या मतलब है? 2. मार्केट कैप के घटने का क्या मतलब है? 3. मार्केट कैप के उतार-चढ़ाव का कंपनी और निवेशकों पर क्या प्रभाव पड़ता है? कंपनी पर असर : बड़ा मार्केट कैप कंपनी को मार्केट से फंड जुटाने, लोन लेने या अन्य कंपनी एक्वायर करने में मदद करता है। वहीं, छोटे या कम मार्केट कैप से कंपनी की फाइनेंशियल डिसीजन लेने की क्षमता कम हो जाती है। निवेशकों पर असर : मार्केट कैप बढ़ने से निवेशकों को डायरेक्ट फायदा होता है। क्योंकि उनके शेयरों की कीमत बढ़ जाती है। वही, गिरावट से नुकसान हो सकता है, जिससे निवेशक शेयर बेचने का फैसला ले सकते हैं। उदाहरण: अगर TCS का मार्केट कैप ₹12.43 लाख करोड़ से बढ़ता है, तो निवेशकों की संपत्ति बढ़ेगी, और कंपनी को भविष्य में निवेश के लिए ज्यादा पूंजी मिल सकती है। लेकिन अगर मार्केट कैप गिरता है तो इसका नुकसान हो सकता है।