रायपुर में फ्रॉड के पैसे बैंक खातों में मंगवाने के लिए बैंक अकाउंट खोले गए। इस मामले में पुलिस ने तीन अलग-अलग बैंक के अधिकारियों को गिरफ्तार किया है। जिन्होंने ब्रोकरों से पैसे लेकर उनकी मदद की। इन्हीं म्यूल बैंक अकाउंट से ठगो ने लाखों रुपए ट्रांसफर कर वारदात को अंजाम दिया। पुलिस के मुताबिक, रायपुर के टिकरापारा, सिविल लाइन और गुढ़ियारी थाने में ठगी की अलग-अलग शिकायत दर्ज की गई। जिसके बाद म्यूल बैंक खाता का संचालन करने वाले और खुलवाने वालों के खिलाफ पुलिस एक्शन ले रही है। इस मामले में पुलिस ने बैंक अधिकारियों की मिलीभगत की भी जांच की। जिसके बाद एक्सिस बैंक अधिकारी अभिनव सिंह, इंडियन ओवरसीज बैंक अधिकारी प्रवीण वर्मा, रत्नाकर बैंक अधिकारी प्रीतेश शुक्ला की गलत तरीके से बैंक अकाउंट खुलवाना मिला। आरोपियों ने बैंक के ड्यू डीलीजेन्स, के वाई सी नॉर्म्स का पालन नहीं किया था। इसके अलावा बैंक खाता खोलने के बदले ब्रोकरों से रुपए लिए थे। पुलिस ने तीनों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है। वहीं, बैंक अधिकारियों के गिरफ्तारी के विरोध में इंडियन ओवरसीज बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन विरोध प्रदर्शन कर रहा है। गिरफ्तार बैंक अधिकारी 1 अभिनव सिहं पिता नरेश सिंह (32) पता झण्डा चौक सेक्टर 02 शिवानंद नगर खमतराई रायपुर (एक्सिस बैंक) 2 प्रवीण वर्मा पिता लक्ष्मण प्रसाद वर्मा (37) पता रोहिणीपुरम फेस 1 बोरसी, पदमनाभपुर, दुर्ग (इंडियन ओवरसीज बैंक) 3 प्रीतेश शुक्ला पिता लालजी शुक्ला (32) पता शिवानंद नगर, गुढियारी रायपुर (रत्नाकर बैंक लिमिटेड) गिरफ्तारी के विरोध में प्रदर्शन इस गिरफ्तारी के विरोध में रायपुर स्थित इंडियन ओवरसीज़ बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय के सामने प्रदेशभर से आए लगभग 200 बैंककर्मी अपने परिजनों समेत एकत्र हुए। बैंक अधिकारियों की हुई गिरफ्तारियों के विरोध में अपनी गहरी नाराज़गी और भय व्यक्त किया। ऑल इंडिया बैंक अधिकारी महासंघ (AIBOC) छत्तीसगढ़ राज्य इकाई के राज्य सचिव वाई गोपाल कृष्णा ने कहा कि, लगातार हो रही गिरफ्तारियों और पुलिस की चेतावनियों ने पूरे बैंकिंग समुदाय को गहरे भय और असुरक्षा के वातावरण में डाल दिया है। सभी बैंक अधिकारी बैंक की निर्धारित नीतियों और प्रक्रियाओं का पालन करते हुए ही खाते खोलते हैं। यदि केवल खाते खोलने की प्रक्रिया को आधार बनाकर निर्दोष अधिकारियों को दोषी ठहराया जाएगा तो भविष्य में अधिकारी खाते खोलने से हिचकिचाएंगे। इससे सरकार की वित्तीय समावेशन योजना गंभीर रूप से प्रभावित होगी। जिससे आम नागरिक को ही सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ेगा। कॉमरेड गोपाल कृष्णा ने स्पष्ट किया कि किसी भी अधिकारी की संलिप्तता यदि ठोस प्रमाणों के साथ सिद्ध होती है, तो उसका समर्थन नहीं किया जाएगा। लेकिन केवल आशंका या सतही आधारों पर अधिकारियों को गिरफ्तार करना न्यायोचित नहीं है। सभी बैंक अधिकारियों ने राज्य प्रशासन और पुलिस से यह आग्रह किया कि, किसी भी कार्रवाई से पूर्व ठोस प्रमाण प्रस्तुत किए जाएं। तथ्यों की जांच विशेषज्ञ बैंक अधिकारियों की राय लेकर की जाए और निर्दोष अधिकारियों को प्रताड़ित न किया जाए।