अंगना कर गुलैची रे, कली-कली गिरे ला, सेके ना सोचे ले आयो बेटी विदा देले…, गगरी धरबे आयो हरिगुना गाबे, बोड़हनी छड़बे ठरकी नैना लोर…घर में ब्याह की रस्में हो रही हैं और महिला-पुरुष आंगन में नृत्य कर डमकच खेल रहे हैं। डमकच नृत्य व गीत किसी घर में ब्याह होने का संकेत देता है। यह झारखंड का प्रसिद्ध लोकनृत्य है, जो घर में खुशियां बांटने के लिए किया जाता है। कई जगहों पर ब्याह के महीने पहले से यह नृत्य शुरू हो जाता है। जिस आंगन में ब्याह होने वाला है, उसी आंगन में इसे खेला जाता है। मांदर की थाप पर वृत्त या अर्द्धवृत्त बना कर स्त्रियां हाथ में हाथ जोड़ खड़ी होती हैं और नृत्य करती हैं। वहीं पुरुष स्त्रियों को अपने घेरे के अंदर लेकर भी नृत्य करते हैं। वैसे आम तौर पर महिलाएं डमकच करती हैं, लेकिन दक्षिणी छोटानागपुर में सादरी बोली वाले गावों में सदान स्त्री-पुरुष इसे करते हैं। एक लय-ताल में नृत्य का रिझरंग देखने लायक है। डमकच देवोत्थान एकादशी से शुरू होकर घूरती रथमेले तक होता है। आठ वर्ष की उम्र से गा रही हैं, दिल्ली, मुंबई, असम जा चुकी हैं सीमा देवी ने बताया कि वह 8 की उम्र से गा रही हैं। गुमला जिले के सिसई थाना के गांव पोड़ा की हैं। फिलहाल रांची एदलहातू में रहती हैं। दादा पूना सिंह मिंझिया व दादी एतवारी से डमकच व लोकनृत्य व लोकगीत सीखे। नृत्य प्रस्तुत करने वह मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, बेंगलुरू, जयपुर, संबलपुर, ऋषिकेश, असम जा चुकी हैं। 2002 में भारत सरकार के कला-संस्कृति विभाग का जूनियर फेलोशिप व 2021-22 में सीनियर फेलोशिप मिल चुका है। बेटा लेगीन आयो रे झाललइर मड़वा, बेटी लागन आयो… प्रख्यात डमकच कलाकार सीमा देवी ने बताया कि शादी-ब्याह से शुरू होकर यह नृत्य अब मेले, जतरा और हर शुभ समय में किया जाता है। इसे गाने वाले पूरक शैली में इसे गाते हैं। जैसे यानी नृत्य करती हुई मैंने ‘केकरा लेगीन आयो गे झाललइर मड़वा, केकर लेगीन कीजे आयो रोद न लागते…’ गाया और वैसे ही दूसरी गायिका इस गीत को लेते हुए गाएगी, ‘बेटा लेगीन आयो रे झाललइर मड़वा, बेटी लागन आयो रोद न लगाले…’। इसके नृत्य में हाथ से हाथ जोड़कर किया जाता है या फिर महिलाएं एक-दूसरे का कमर पकड़ कर करती हैं। इस नृत्य को सदान या मूलवासी ज्यादा करते हैं। वैसे इसकी उत्पत्ति आदिवासी झूमर से ही हुई है। {गीतों की मिठास खासियत: डमकच गीत बहुत मिठास लिए होते हैं। इसकी राग-रागनियां मधुर व कोमल होती हैं। नृत्य भी प्रफुल्लित करने वाला है। इस नृत्य में वाद्ययंत्र खास होते हैं। मांदर, ढाक, ढोल, नगाड़ा, शहनाई बजाए जाते हैं। बारात प्रस्थान के समय भेर बजाया जाता है। रांची के मंच पर सहयोगी कलाकारों के साथ डमकच नृत्य व गीत प्रस्तुत करतीं सीमा देवी। सीमा देवी, प्रख्यात डमकच कलाकार, रांची एक्सपर्ट