डिंडौरी के ग्रामीण अंचलों में बिना डिग्री और डिप्लोमा वाले झोलाछाप डॉक्टर बेखौफ होकर ग्रामीणों का इलाज कर रहे हैं। इनके पास न तो कोई वैध डिग्री है और न ही डिप्लोमा। अनुभव के नाम पर ये केवल अन्य झोलाछाप डॉक्टरों के यहां काम करने का दावा करते हैं। समनापुर के बीएमओ ने ऐसे 13 डॉक्टरों से दस्तावेज मांगे हैं। कच्चे मकान में लोगों का इलाज करता था आरोपी जिला मुख्यालय से लगभग 70 किलोमीटर दूर समनापुर जनपद पंचायत क्षेत्र के गौर कन्हारी गांव में राजा दुबे नामक एक झोलाछाप डॉक्टर कई महीनों से ग्रामीणों का इलाज कर रहा है। वह एक कच्चे मकान में अपनी ‘दुकान’ चलाता है। बाहर से देखने पर यह सामान्य लगता है, लेकिन अंदर मरीज बैठे मिलते हैं। एक साल का डिप्लोमा कोर्स करने का दावा राजा दुबे ने दावा किया कि उसने अटल बिहारी यूनिवर्सिटी से एक साल का डिप्लोमा किया है। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग से अनुमति और इलाज की पद्धति के बारे में पूछे जाने पर वह चुप हो गया। उसने यह भी बताया कि इतनी दूर होने के कारण कोई भी स्वास्थ्य अधिकारी निरीक्षण के लिए नहीं आता, जबकि गांव में ही एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मौजूद है। क्षेत्र में लगभग 13 फर्जी और झोलाछाप डॉक्टर सक्रिय इसी गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में दैनिक भास्कर रिपोर्टर के पहुंचने पर महिलाओं और स्कूली छात्र-छात्राओं का स्वास्थ्य परीक्षण चल रहा था। गनियारी जन स्वास्थ्य सहयोगी संस्था के सदस्यों ने बताया कि एएनसी माताओं और छात्राओं का स्वास्थ्य परीक्षण कर सिकल सेल की स्क्रीनिंग की जा रही है। समनापुर विकासखंड में सिकल सेल के 200 से अधिक मरीज हैं। बीएमओ डॉ. एस.एस. कुशराम ने बताया कि क्षेत्र में लगभग 13 फर्जी और झोलाछाप डॉक्टर सक्रिय हैं, जो मरीजों के मामलों को बिगाड़ देते हैं और उनसे मनमाना पैसा वसूलते हैं। उन्होंने इन डॉक्टरों से डिग्रियां मंगाई हैं और उनकी सूची जिला मुख्यालय भेज दी है। डॉ. कुशराम ने कहा कि जिला मुख्यालय से निर्देश मिलने के बाद एक टीम बनाकर इन पर कार्रवाई की जाएगी।


