डिलीवरी के दौरान अस्पताल में हुई प्रसूता की मौत, लोगों ने दो घंटे जाम किया चौक

नगड़ी थाना क्षेत्र स्थित रिंची ट्रस्ट अस्पताल में डिलीवरी के दौरान एक प्रसूता की मौत हो गई। हालांकि, बच्चे को बचा लिया गया। नवजात 8 माह का ही है, फिलहाल वह चिकित्सकों की देख-रेख में है। मृतका का नाम पूजा देवी है। वह नगड़ी के ललगुटवा गांव की रहने वाली थी। डिलीवरी पेन होने के बाद गुरुवार की सुबह उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मौत के बाद शुक्रवार की सुबह 9 बजे स्थानीय लोगों ने कटहल मोड़ चौक को जाम कर दिया। दो घंटे तक स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन किया। सड़क पर टायर जला कर मार्ग को अवरुद्ध कर दिया। चारों ओर से आने-जाने वाली गाड़ियां रुक गईं। चौक पर लंबा जाम लग गया। स्थिति ऐसी हो गई कि काफी संख्या में वहां पुलिस बल को बुलाना पड़ गया। डीएसपी नगड़ी अरविंद कुमार भी वहां पहुंचे। डीएसपी ने परिजनों को काफी समझाया। कहा कि अगर वे थाने में शिकायत करते हैं तो पुलिस कार्रवाई करेगी। परिजनों की मांग थी कि पूजा की मौत पर अस्पताल प्रबंधन मुआवजा दे, क्योंकि लापरवाही की वजह से पूजा की मौत हुई है। पुलिस बोली- शिकायत आएगी तो दर्ज होगा केस चार साल पहले हुई थी शादी, पहली बार मां बन रही थी पूजा पूजा देवी की मौत की जानकारी गुरुवार रात 9 बजे अस्पताल की ओर से परिजनों को दी गई। इसके बाद अस्पताल में बालालौंग गांव के स्थानीय लोग बड़ी संख्या में पहुंच गए। अस्पताल में महिलाओं ने जमकर हंगामा किया। महिलाओं का कहना था कि शादी के चार साल बाद पूजा मां बनने वाली थी। यह परिवार के लिए बहुत खास था, पर डॉक्टर ने परिवार का सपना तोड़ दिया। पूजा के परिजनों ने लगाया आरोप, मौत के काफी देर बाद दी जानकारी पूजा देवी के पति विष्णु महतो व उसकी बहन ने बताया- भर्ती लेने के बाद डाक्टरों ने कहा था कि नॉर्मल डिलीवरी होगी। लेकिन अचानक उनकी सर्जरी कर दी गई। डाक्टरों ने उनसे दो बोतल खून व प्लाज्मा भी मंगवाया। परिजनों ने अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाया। यह भी कहा कि पूजा देवी की मौत गुरुवार की शाम 5 बजे ही हो गई थी। लेकिन अस्पताल की ओर से घटना को रात 9 बजे तक छिपा कर रखा गया। परिजनों का कहना था कि उसकी मौत के बाद भी डॉक्टर उनसे दवा मंगाते रहे। आरोप है कि मौत के बाद भी करीब 15 हजार रुपए की दवा उनसे रात में मंगाई गई। सात माह का था गर्भ, कॉम्प्लीकेशन की वजह से करनी पड़ी सर्जरी : अस्पताल प्रबंधन अस्पताल प्रबंधन की ओर से डॉ. मनसरिया ने कहा कि पूजा का गर्भ सात माह का था। प्रीमेच्योर डिलीवरी की वजह से कॉम्प्लीकेशन बढ़ने लगा था, इस वजह से अचानक पूजा की सर्जरी का निर्णय लेना पड़ा। स्थिति ऐसी थी कि पूजा व बच्चे में से एक को ही बचाया जा सकता था। काफी कोशिश के बाद भी पूजा को नहीं बचाया जा सका। उसके इलाज में जो भी बिल था, उसे माफ कर दिया गया है। शव परिजनों को सौंप दिया गया है।

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