डीएसपीएमयू में डिसर्टेशन प्रोजेक्ट के नाम पर 3-3 हजार की वसूली

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी यूनिवर्सिटी (डीएसपीएमयू) के पीजी जूलॉजी विभाग के स्टूडेंट्स से डिसर्टेशन प्रोजेक्ट के ​नाम पर अवैध वसूली की जा रही है। यूनिवर्सिटी में डिसर्टेशन के नाम पर कोई फीस निर्धारित नहीं है। इसके बावजूद हर स्टूडेंट्स से तीन-तीन हजार रुपए लिए गए। वह भी निजी खाते में लिए गए। छात्रों ने यूनिवर्सिटी प्रशासन से इसकी लिखित शिकायत की है। उन्होंने पैसे ट्रांसफर करने के साक्ष्य के रूप में यूपीआई भुगतान का स्क्रीन शॉट भी पेश किया है। पीजी जूलॉजी (सत्र 2023-25) के पाठ्यक्रम में एक अनिवार्य पेपर डिसर्टेशन प्रोजेक्ट है, जो रिसर्च से संबंधित है। इस प्रोजेक्ट के लिए छात्रों को गाइड (मार्गदर्शक) का सहयोग लेना होता है। छात्रों का आरोप है कि इसी मार्गदर्शन के नाम पर उनसे पैसे मांगे गए। यूनिवर्सिटी के कई शिक्षकों ने भी इस वसूली को पूरी तरह से गलत बताया है और इस पर तत्काल रोक लगाने के साथ-साथ दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि इस तरह की अनियमितताएं यूनिवर्सिटी की प्रतिष्ठा को धूमिल करती हैं। यह मामला तब और भी गंभीर हो जाता है जब पैसे ऐसे व्यक्ति के खाते में लिए गए हों, जो फैकल्टी भी नहीं है। छात्रों का आरोप… जिस स्वाति के खाते में पैसे मंगाए, वह फैक्ल्टी नहीं छात्रों ने शिकायत में कहा है कि वसूली गई राशि स्वाति प्रिया नाम की एक महिला के अकाउंट में ट्रांसफर कराई गई है। स्वाति प्रिया न तो जूलॉजी विभाग की फैकल्टी हैं और न ही मूल्यांकन समिति की सदस्य हैं। इसके बावजूद, उन्हें डिसर्टेशन प्रोजेक्ट के लिए अनधिकृत रूप से शामिल कर लिया गया है। स्टूडेंट्स पूनम, स्वाति, नेहा, आयुषी आदि का कहना है कि स्वाति प्रिया ने डिसर्टेशन में भी गलत जानकारी दी। इसकी जानकारी गाइड डॉ. एस घोष को दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद कुलपति से लिखित शिकायत की है। बाहरी स्वाति प्रिया का यह है तर्क… स्वाति प्रिया ने आरोप को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि जरूरी खर्च के तहत पीजी छात्रों ने एकाउंट में रुपए दिए थे। किसी ने एक हजार रुपए भी दिए हैं। डॉ. एस घोष, गाइड स्वाति के आने-जाने के खर्च के लिए पैसे लिए विवि की अनुमति के बिना बाहरी को डिसर्टेशन कार्य में रखा गया है? -स्वातिप्रिया डिसर्टेशन की एक्सपर्ट है। वे यहां के छात्रों को मार्गदर्शन दे रही हैं। विवि से अनुमति नहीं ली है। छात्रों से डिसर्टेशन के नाम पर 3000 रुपए तक क्यों लिए जा रहे हैं? -स्वाति प्रिया ओडिशा से यहां छात्रों को मार्गदर्शन देने आती हैं, इनके आने-जाने के खर्च के लिए छात्रों से रुपए लिए हैं। विवि में मार्गदर्शन के नाम पर शुल्क लिए जाने का नियम तो नहीं है? -छात्रों के रिसर्च के लिए मैं खर्च स्वयं उठाता हूं। पिछले साल ही 14 छात्रों पर ह्यूमन स्टूल की जांच के लिए 98 हजार रुपए खर्च किए थे।

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