नरसिंहपुर जिले के बहुचर्चित और सनसनीखेज आत्महत्या मामले में प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश अखिलेश कुमार धाकड़ की कोर्ट ने आरोपियों को दोषमुक्त करार देते हुए बरी कर दिया। यह मामला धारा 306, 34 भा.द.वि. और 4 ऋणियों का संरक्षण अधिनियम, 1937 के तहत दर्ज था। मामले में 22 अप्रैल 2021 को डॉ. सिद्धार्थ तिगनाथ ने नरसिंहपुर के टट्टा पुल पर ट्रेन से कटकर आत्महत्या कर ली थी। इस घटना के बाद कोतवाली पुलिस ने जांच प्रारंभ की थी। जांच उपनिरीक्षक जितेंद्र गढ़वाल ने की। इन पर लगे थे आरोप अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि डॉ. सिद्धार्थ तिगनाथ को सुनील जाट, अजय उर्फ पप्पू जाट, भागचंद यादव, धर्मेंद्र जाट, राहुल जैन, सौरभ रिछारिया, आशीष नेमा ने मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना दी थी। आरोप था कि आरोपियों ने उनसे खाली चेक लिए और 20 से 80 प्रतिशत तक अवैध ब्याज वसूला। साथ ही, अभियुक्त आशीष नेमा पर मृतक की कार जब्त करने का भी आरोप लगा था। अभियोजन पक्ष आरोप साबित नहीं कर पाया अभियोजन पक्ष ने मृतक के पिता डॉ. दीपक तिगनाथ, मां ज्योति तिगनाथ, पत्नी स्मिता तिगनाथ और चाचा प्रसन्न तिगनाथ समेत अन्य गवाहों के बयान दर्ज कराए। हालांकि, प्रतिपरीक्षण के दौरान अभियोजन यह स्पष्ट नहीं कर सका कि आरोपियों ने कब, कितनी रकम और ब्याज वसूला। बचाव पक्ष ने यह भी तर्क दिया कि प्रारंभिक मर्ग जांच में मृतक के पिता और चाचा के बयान में आरोपियों का नाम शामिल नहीं था। यह न्यायालय में अभियोजन पक्ष के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ। आरोपियों के वरिष्ठ अधिवक्ता सुधेश वैद्य, संदीप जाट और जलज खैमरिया ने अभियोजन के आरोपों को साक्ष्य के अभाव में असत्य करार दिया। उन्होंने अदालत के समक्ष तर्क दिया कि अभियोजन अपने आरोप साबित करने में विफल रहा है।