ढेंगा गोलीकांड: सीआईडी जांच में हजारीबाग पुलिस की लापरवाही और त्रुटियां हुईं उजागर

अपराध अनुसंधान विभाग (सीआईडी) ने हजारीबाग के बड़कागांव थाना क्षेत्र स्थित ढेंगा में 14 अगस्त 2015 को हुई गोलीकांड के अनुसंधान में हजारीबाग पुलिस की लापरवाही व त्रुटियों को उजागर किया है। सीआईडी ने अनुसंधान में पाया गया है कि बड़कागांव थाने के तत्कालीन अनुसंधानकर्ता ने केस डायरी में तथ्यों को दरकिनार किया। सीआईडी के डीजी ने ऐसा किस उद्देश्य से किया, इसकी जांच कर, सभी संबंधितों पर कार्रवाई का आदेश भी दिया है। झारखंड उच्च न्यायालय ने भी 23 जुलाई को आदेश जारी कर इस केस में चल रहे ट्रायल पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि इस केस की सीआईडी जांच चल रही है। हजारीबाग पुलिस की चार्जशीट के आधार पर ट्रायल चल रहा है। हाईकोर्ट ने सामने आए तथ्यों को देखते ट्रायल पर रोक लगाई है। इस केस में सीआईडी ने अब तक चार्जशीट दाखिल नहीं की है। सीआईडी की जांच पूरी होने तक उक्त केस में हजारीबाग पुलिस की चार्जशीट के आधार पर चल रहे ट्रायल पर रोक रहेगी। इस केस में हाईकोर्ट ने 2021 की एक याचिका पर 19 जुलाई 2022 को आदेश दिया था। हाईकोर्ट के आदेश पर ही बड़कागांव थाना कांड संख्या 167/2015 की जांच की जिम्मेदारी सीआईडी को दी गई थी। 14 अगस्त 2015 को बड़कागांव में हुई किसान महारैली में हुई थी फायरिंग: बड़कागांव में 14 अगस्त 2015 को बड़कागांव एनटीपीसी के जमीन अधिग्रहण व खनन के विरोध में किसान महारैली आयोजित की गई थी। रैली का नेतृत्व तत्कालीन विधायक निर्मला देवी, उनके पति पूर्व मंत्री योगेंद्र साव कर रहे थे। आरोप था कि भीड़ की ओर से ही पुलिस पर फायरिंग की गई थी। फायरिंग में छह ग्रामीणों को गोली लगी थी। इसमें एक अल्पसंख्यक महिला, चार दलित व एक समाचार पत्र के विज्ञापन एजेंट को गोली लगी थी। निर्मला देवी के सवाल पर वर्ष 2016 में विधानसभा में गृह विभाग की ओर से जवाब दिया गया था कि पुलिस की ओर से किसी उपद्रवी या भू-रैयतों पर कोई गोली नहीं चली थी। किसी भी व्यक्ति को गोली नहीं लगी, किसी पर लाठी चार्ज नहीं किया गया। किसान महारैली के दौरान उग्र भीड़ पर वाटर कैनन से बौछार किया गया और अश्रु गैस छोड़े गए थे। लेकिन बाद में जब बड़कागांव की विधायक अंबा प्रसाद उसी सवाल को लेकर विधानसभा पहुंचीं तो गृह विभाग ने स्वीकार किया कि पुलिस ने फायरिंग की थी। भीड़ ने पुलिस पर हमला किया, पर पुलिस ने पहले चेतावनी दी, उसके बाद लाठीचार्ज, फिर अश्रु गैस छोड़े। भीड़ बेकाबू थी। आत्मरक्षा के लिए पुलिस ने गोलियां चलाई, जिसमें संतोष राम, चंदर कुमार, शनिकांत, संजय राम, जुबैदा खातून जख्मी हुए। शिकायतकर्ता ने उठाए थे 11 बिंदुओं पर सवाल शिकायककर्ता शशिकांत ने इस मामले में 11 बिंदुओं पर अपना पक्ष रखते हुए सवाल उठाए थे। जांच के क्रम में सीआईडी ने पाया कि बड़कागांव पुलिस ने जांच में तथ्यों को दरकिनार किया। सीआईडी ने शिकायतकर्ता के उठाए गए बिंदुओं को भी सही पाया है। जांच में पाया कि कांड के अनुसंधानकर्ता ने ढेंगा गोलीकांड के नामजद आरोपियों शनिकांत, संतोष राम, सन्नी देवल कुमार, श्रीचंद्र राम, संजय राम व जुबैदा खातून के घायल होने का जिक्र अपनी केस डायरी में नहीं किया। जबकि सभी घायलों का हजारीबाग के सदर अस्पताल में इलाज चल रहा था। उन्हें गिरफ्तार किया गया था, लेकिन वे किस अवस्था में भर्ती हुए, इसका भी केस डायरी में उल्लेख नहीं किया गया। उनकी मेडिकल रिपोर्ट का भी जिक्र नहीं किया। वे घायल कैसे हुए, इसका भी जिक्र नहीं किया।

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