तितरीपोंडी में घटिया गुणवत्ता वाली नाली निर्माण का आरोप, ग्रामीणों ने कहा टाइड फंड की बर्बादी
जमुना कोतमा। ग्राम पंचायत तितरीपोंडी में नाली निर्माण कार्य इन दिनों विवादों के घेरे में है। लक्ष्मण सिंह के घर से लेकर आंगनवाड़ी केंद्र तक लगभग 4,87,000 की लागत से बन रही नाली की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। यह राशि केंद्र सरकार की टाइड फंड योजना के तहत स्वीकृत हुई थी, जिसका उद्देश्य गांव की साफ-सफाई और आधारभूत ढांचे को मजबूत करना था। लेकिन हकीकत इससे उलट दिख रही है। स्थानीय लोगों की मानें तो नाली निर्माण में बहुत ही कम मात्रा में रॉड और सीमेंट का उपयोग किया जा रहा है। जिस कार्य की मजबूती आने वाले वर्षों तक टिके रहने की होनी चाहिए थी, वह अभी से ही दम तोड़ता नजर आ रहा है। जानकार मानते हैं कि निर्माण की गुणवत्ता के संबंध में अगर कोई षिकायत है तो इसकी जांच उच्च तकनीकी विषेषज्ञों से कराई जानी चाहिए ताकि सच सामने आ सके। इस पूरे निर्माण कार्य की निगरानी ग्राम पंचायत के द्वारा की जा रही है, जिन पर गुणवत्तापूर्ण कार्य सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी है। लेकिन हैरानी की बात है कि उन्हीं की निगरानी में यह कार्य इतनी लापरवाही से किया जा रहा है, जिससे कहीं न कहीं ठेकेदार को लाभ पहुंचाने की कोशिश है। ग्रामीणों का यह आरोप है कि नाली निर्माण में न मानदंडों का पालन किया जा रहा है, न ही किसी तरह की पारदर्शिता है। निर्माण स्थल पर न तो कोई सूचना बोर्ड है, न ही कोई तकनीकी अधिकारी नियमित निरीक्षण के लिए आता है। जहां एक ओर पंचायत को विकास कार्यों की गुणवत्ता की जिम्मेदारी सौंपी गई है, वहीं दूसरी ओर पंचायत की देखरेख में इस तरह का भ्रष्टाचार के आरोप लगना गंभीर चिंता का विषय है। अब सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन इस भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई करेगा? या फिर लाखों रुपये का यह टाइड फंड भी अन्य योजनाओं की तरह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाएगा? ग्रामीणों ने जिला कलेक्टर से मांग की है कि पूरे निर्माण कार्य की जांच कराई जाए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। यदि समय रहते यह मामला नहीं संभाला गया, तो गांव में जनआंदोलन की स्थिति बन सकती है।