हाई कोर्ट ने तृतीय श्रेणी अध्यापक लेवल प्रथम मामले में सुनवाई पूरी करने के बाद आज फैसला सुरक्षित रख लिया है। भर्ती में असफल अभ्यर्थियों ने एकलपीठ के फैसले को खंडपीठ में चुनौती दी थी। जिस पर आज जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने सुनवाई पूरी कर ली। याचिकाकर्ताओं ने 22 सवालों के जवाब को गलत बताते हुए अपील दायर की थी। अपील में कहा गया था कि बोर्ड ने जिन जवाबों को सही माना है, वो तथ्यात्मक रूप से गलत हैं। लेकिन एकलपीठ ने इस तथ्य की ओर ध्यान नहीं दिया। हाई कोर्ट विशेषज्ञ के रूप में हस्तक्षेप नहीं कर सकता
सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कहा गया कि भर्ती करीब 21 हजार पदों के लिए निकाली गई थी। जिसमें से सरकार 20,020 पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर चुकी है। इन में से 19,786 पदों पर अभ्यर्थियों ने जॉइन भी कर लिया हैं। भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के बाद केवल 193 पद ही खाली रहेंगे। ऐसे में इस स्टेज पर भर्ती प्रक्रिया में दखल नहीं दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही बोर्ड ने एक्सपर्ट कमेटी के आधार पर अंतिम आंसर-की जारी की थी। हाई कोर्ट विशेषज्ञ के तौर पर हस्तक्षेप नहीं कर सकता हैं। लॉ से जुड़े सवाल, हाई कोर्ट भी एग्जामिन कर सकता है
याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता रघुनंदन शर्मा व अन्य ने कहा कि जिन सवालों के जवाब बोर्ड गलत मान रहा है। उनमें से दो सवाल तो लॉ विषय से जुड़े है। जिन्हें एग्जामिन करने के लिए हाई कोर्ट स्वंय एक्सपर्ट बॉडी है। उन्होंने कहा कि भर्ती में अभी भी 1300 से अधिक पद खाली है। वहीं याचिकाकर्ताओं ने फाइनल आंसर-की जारी होने के चार दिन बाद ही उसे हाई कोर्ट में चुनौती दे दी थी। दरअसल, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने 16 दिसम्बर 2022 को भर्ती का विज्ञापन जारी किया था। लिखित परीक्षा के बाद प्रारंभिक आंसर-की जारी करते हुए आपत्तियां मांगी गई थी। आपत्तियों को निस्तारित करते हुए बोर्ड ने 26 मई 2023 को फाइनल आंसर-की जारी कर दी। जिसे याचिकाकर्ताओं ने एकलपीठ में चुनौती दी थी। लेकिन एकलपीठ ने मई 2024 में उनकी याचिकाओं को खारिज कर दिया था।