कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने बुधवार को ‘वीर सावरकर अवॉर्ड’ को लेकर स्पष्टीकरण जारी किया। उन्होंने कहा कि उन्हें इस अवॉर्ड के बारे में केरल में रहते हुए मीडिया रिपोर्ट्स से ही जानकारी मिली। थरूर ने स्पष्ट किया कि वे न तो इस अवॉर्ड से अवगत थे और न ही उन्होंने इसे स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि ऐसे में दिल्ली में होने वाले कार्यक्रम में शामिल होने का सवाल ही नहीं उठता। वहीं, NGO दि हिंगरेज रूरल डेवलपमेंट सोसाइटी (HRDS) इंडिया के संस्थापक अजी कृष्णन ने दावा किया कि वो एक महीने पहले थरूर के घर पर मिले थे और उन्होंने अवॉर्ड स्वीकार करने की सहमति दी थी। दो हफ्ते पहले भी जूरी चेयरमैन रवि कांत ने उनसे मुलाकात की थी। दरअसल, बुधवार को दिल्ली में ‘वीर सावरकर इंटरनेशनल इम्पैक्ट अवॉर्ड 2025’ आयोजित किया जा रहा है। कार्यक्रम का उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भी मौजूद रहेंगे। कांग्रेस नेता शशि थरूर को भी ये अवॉर्ड देने की घोषणा की गई है। थरूर के मुताबिक आयोजकों ने बिना उनकी सहमति के उनका नाम घोषित कर दिया, जिसे उन्होंने गैर-जिम्मेदाराना” बताया। उन्होंने X पर लिखा कि तिरुवनंतपुरम में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने यह बात पहले ही स्पष्ट कर दी थी। थरूर ने यह भी कहा कि स्पष्टीकरण के बाद भी कुछ मीडिया संस्थान उनसे वही सवाल पूछ रहे हैं, इसलिए वे यह बयान फिर से जारी कर रहे हैं ताकि स्थिति बिल्कुल स्पष्ट हो जाए। उन्होंने कहा कि जब अवॉर्ड के बारे में कुछ भी स्पष्ट जानकारी नहीं है, तो अवॉर्ड स्वीकार करने या कार्यक्रम में जाने का कोई सवाल नहीं है। NGO ने कहा- थरूर को कोई दिक्कत नहीं थी HRDS के फआउंडर सेक्रेटरी ने कहा कि थरूर सावरकर के नाम पर शुरू किए गए अवॉर्ड को पाने वाले दूसरे लोगों के बारे में जानना चाहते थे। हमने वह जानकारी भी शेयर की। उन्हें कोई दिक्कत नहीं थी, और वह अवॉर्ड लेने और इवेंट में आने के लिए मान गए थे। अभी तक, हमें थरूर से कोई खबर नहीं मिली है कि वह इवेंट में नहीं आएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि थरूर को उनके ग्लोबल क्रेडेंशियल्स की वजह से अवॉर्ड के लिए चुना गया था। थरूर ने हमेशा भारत को रिप्रेसेंट किया है। हाल ही में, उन्हें रूस के प्रेसिडेंट व्लादिमीर पुतिन के सम्मान में स्टेट डिनर में बुलाया गया था। ब्रिटिश कॉलोनियलिज्म पर उनकी बातें इंस्पायरिंग हैं। —————–


