सीकर में आज करीब 14 दिव्यांग ट्राईसाइकिल पर बैठकर मेडिकल सर्टिफिकेट की कमियों में सुधार की मांग करने कलेक्ट्रेट पहुंचे। अब समस्या आ गई कि फर्स्ट फ्लोर पर स्थित कलेक्टर चैंबर तक सीढ़ियां कैसे चढें! जिला कलेक्टर मुकुल शर्मा को जानकारी मिली तो वे नीचे आए और दिव्यांगों से ज्ञापन लेकर समाधान का भरोसा दिलाया। दिव्यांग डॉ. अब्बास खान ने बताया कि सीकर जिले में बन रहे डिसएबल सर्टिफिकेट का कोई मापदंड निर्धारित नहीं है। कुछ लोग डॉक्टर्स से सांठ-गांठ करके डिसएबिलिटी सर्टिफिकेट ले लेते हैं, जबकि असली दिव्यांग मूल सुविधाओं से ही वंचित हैं। दिव्यांग सर्टिफिकेट में गड़बड़ियो के चलते सरकार भी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए सही कैटेगरी तय नहीं कर पाती है। दोनों पैराें से चलने-फिरने में असमर्थ दिव्यांग को भी 80 प्रतिशत डिसएबिलिटी के सर्टिफिकेट जारी नहीं हाे रहे हैं। 80 प्रतिशत से कम का सर्टिफिकेट होने पर ट्राईसाइकिल और पेंशन समेत सभी सरकारी सहायताएं नहीं मिलती हैं। दिव्यांगों ने जिला कलेक्टर को सीकर जिले में बने सभी दिव्यांग प्रमाण पत्रों की जांच की मांग की है। वहीं, डिसएबिलिटी सर्टिफिकेट के लिए होने वाली 3 डॉक्टर्स के मेडिकल बोर्ड की एग्जामिनेशन को एक ही टेबल पर करवाने की मांग की है। दिव्यांगों ने जिला कलेक्टर से कहा कि एक जैसी शारीरिक समस्या से पीड़ित दिव्यांगों के अलग-अलग कैटेगरी के डिसएबल सर्टिफिकेट बन रहे हैं, ये गलत है। दिव्यांगों ने ज्ञापन देकर सीकर के एसके हॉस्पिटल से जारी हुए सभी दिव्यांग प्रमाण पत्रों की जांच करवाने तथा सभी दिव्यांग प्रमाण पत्र जारी करने के 3 डॉक्टर्स का एक स्थाई मेडिकल बोर्ड गठित करने की मांग की है।


