राज्य की राजधानी रांची का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल रिम्स बेहाल है। दीवारों और छतों से प्लास्टर झड़ रहे हैं। झड़े प्लास्टर से झांकती जंग लगी छड़ों को देखकर ऐसा लग रहा है, मानो किसी अप्रिय घटना का इंतजार हो रहा हो। पुराने भवन जहां 800 से ज्यादा मरीज भर्ती रहते हैं, उसमें जगह-जगह दरारें हैं, कभी सिलिंग टूटकर गिरता है, तो कभी प्लास्टर। दीवारों में जगह-जगह सीपेज है। बरसात में तो हालत नारकीय हो जाती है। एक घंटे की बारिश में मुख्य भवन के बेसमेंट में ऐसा जलजमाव होता है कि उसे सुखने में सालों लग जाते हैं। इन दिनों पूरा बेसमेंट दूषित पानी से भरा हुआ है। यहां न जाने कितनी तरह की बीमारियां पनप रही हैं, इससे रिम्स में ठीक होने आने वाले रोगियों व उनके परिजनों को भी मलेरिया-डेंगू समेत कई तरह के संक्रमण का खतरा है। यहीं नहीं, रिम्स के जिस बिल्डिंग को भवन निर्माण विभाग 2023 में ही कंडम घोषित कर चुका है, वहां अब भी बैंक और बीएसएनएल का ऑफिस चल रहा है। इसका खुलासा करीब 20 दिन पहले हुए रिम्स के भवनों के भौतिक सत्यापन के दौरान हुआ, जब टीम ने निरीक्षण के बाद स्वास्थ्य विभाग को प्रतिवेदन सौंपा। निरीक्षण प्रतिवेदन में यह भी खुलासा हुआ कि रिम्स की करीब 65 से 70% भवनों की स्थिति ठीक नही हैं। भवन की यह दयनीय हालत कभी भी अस्पताल में आने वाले मरीजों और डॉक्टरों के लिए बड़ा खतरा बन सकती है। बी टाइप नर्सेज क्वार्टर…छतों के छड़ तक सड़ चुके हाल में हुए निरीक्षण में रिम्स परिसर स्थित बी टाइप नर्सेज क्वार्टर (4 ब्लॉक, 16 यूनिट) को भी कंडम घोषित करने की प्रक्रिया शुरू करने अनुशंसा की गई है। िरपोर्ट में बताया गया है कि यह भवन भी पूरी तरह से खराब हो चुका है। बिल्डिंग के अंदर इस्तेमाल किए छड़ तक सड़ चुके हैं। दीवारों, छज्जों व छतों में क्रैक आ चुका है। भवन रहने के लिए सुरक्षित नहीं है। प्लास्टर झड़ रहे, अंदर से झांक रहीं जंग लगी छड़ें, हो सकती है अप्रिय घटना 1. पेइंग वार्ड : 100 बिस्तरों वाले इस भवन के निरीक्षण में पाया गया कि कई वर्षों से इसमें कोई भी मरम्मति का काम नहीं हुआ है। बिल्डिंग के कॉलम, छज्जा व दीवारों में क्रैक आ गए हैं। छत एवं बाथरूम की दीवारों में सीपेज की समस्या गंभीर है। 2. क्वार्टर (4 ब्लॉक, 1 यूनिट) : यहां कभी भी अप्रिय घटना घट सकती है। ऑडिट में इसे तत्काल खाली कराकर डिसमेंटल करने की जरूरत बताई गई है। इसे भी दिसंबर 2023 में ही कंडम घोषित किया जा चुका है, लेकिन प्रबंधन ने इसपर कोई भी एक्शन नही लिया। भवन का इस्तेमाल अब भी हो रहा है। 3. ओन्कोलॉजी बिल्डिंग : निरीक्षण में यहां पाया गया कि बरसात में छत से सीपेज होता है। वर्षों से कोई भी मरम्मत या जीर्णोंद्धार कार्य नहीं होने के कारण जगह-जगह प्लास्टर टूट कर गिर रहा है। जगह-जगह से फॉल्स सीलिंग टूट कर गिर रही है। अंदरूनी व बाहरी भाग का पेंट खराब हो गया है। 4. बीएसएनएल बिल्डिंग : इसकी स्थिति सबसे जर्जर है। दीवार व कॉलम क्रैक कर गया है। प्लास्टर झड़ रहा है। दीवार व छतों में पेड़-पौधे उग आए हैं। यहीं मुख्यमंत्री दाल भात योजना, बीएसएनएल ऑफिस व इलाहाबाद बैंक संचालित है। दिसंबर 2023 में ही इस भवन को कंडम घोषित किया जा चुका है। 5. न्यू ट्रॉमा सेंटर : भौतिक सत्यापन के दौरान यहां पाया गया कि कई वर्षों से कोई भी मरम्मति या जीर्णोद्धार का काम नहीं हुआ है। भवन का बाहरी व भीतरी पेंट खराब हो चुका है। साथ ही कई जगहों पर फ्लोर टाइल्स व फॉल्स सीलिंग भी क्षतिग्रस्त है। प्लास्टर झड़ रहा है। भवन में तत्काल रेनोवेशन कराने की जरूरत है।