छत्तीसगढ़ में कलेक्टर गाइडलाइन के तहत जमीन की दरों में 5 से 9 गुना तक बढ़ोतरी की गई है। 1 दिसंबर को दुर्ग में हुए प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने जमीन कारोबारियों पर लाठीचार्ज किय। इस घटना के बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ गंभीर धाराओं में केस दर्ज कर कई लोगों को गिरफ्तार किया और उन्हें जेल भेज दिया। इसी मुद्दे पर विधानसभा सत्र से पहले भिलाई नगर विधायक देवेंद्र यादव और दुर्ग शहर के पूर्व विधायक अरुण वोरा ने कांग्रेस नेताओं के साथ जेल में बंद कारोबारियों से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने घायल कारोबारियों से घटना और उनकी स्थिति के बारे में जानकारी ली। मुलाकात के बाद देवेंद्र यादव पुलिस अधीक्षक से मिलने उनके करले स्थित कार्यालय पहुंचे। हालांकि, एसपी की अनुपस्थिति के कारण देवेंद्र यादव ने वहां मौजूद एडिशनल एसपी को अपनी शिकायत और आपत्ति दर्ज कराई। वहीं, मीडिया से बात करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि गिरफ्तार किए गए लोगों के साथ गलत तरीके से मारपीट की गई है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर निर्दोष लोगों को धमकाया गया या बेवजह छापे मारे गए, तो विपक्ष इस मुद्दे पर मजबूती से लड़ेगा। यह मामला विधानसभा में भी उठाया जाएगा। पानी पाउच फेंकने की बात पर दंगा दावा कर रही पुलिस- विधायक विधायक देवेंद्र यादव ने कहा कि पुलिस पानी पाउच फेंकने की बात पर दंगा होने का दावा कर रही है। ‘क्या पानी पाउच से भी वार होता है?’ पुलिस ने लोगों के सिर फोड़ दिए और पैर तोड़ दिए। यदि उनके कर्मचारियों को चोट लगी है तो वे मीडिया के सामने दिखाएं। जेल में बंद लोगों ने अपने शरीर पर चोट के निशान दिखाए हैं और कई लोग रायपुर के अस्पतालों में भर्ती हैं। देवेंद्र यादव बोले- ‘800% बढ़ी दरें, गरीब बेच नहीं पा रहे जमीन’ उन्होंने कहा कि “यह लड़ाई उन गरीब लोगों के लिए है, जिनकी जमीन के रेट 800% बढ़ा दिए गए हैं। जिनके घरों में शादियां हैं, वे जमीन बेच नहीं पा रहे। पुलिस को किसी आम आदमी को डंडे से पीटने का अधिकार नहीं है। जहां भी पुलिस बर्बरता करेगी, हम आंदोलन करेंगे।” उन्होंने आगे कहा कि “जिला प्रशासन, स्थानीय व्यापारी, किसान सभी के बीच समन्वय आवश्यक है। निर्दोष लोगों को परेशान न किया जाए। अंतिम फैसला कैबिनेट को लेना है और इसके लिए पार्टी स्तर पर हम लड़ाई जारी रखेंगे।” अरुण वोरा बोले- ‘अंग्रेज शासन की याद दिला दी’ दुर्ग शहर के पूर्व विधायक अरुण वोरा ने कार्रवाई को ‘अत्याचारी’ बताते हुए कहा कि “सरकार का काम इंसाफ मांगने वालों पर बर्बरता करना नहीं है। जिस तरह जेल में बंद कारोबारियों को पीटा गया, वह अंग्रेज शासन की याद दिलाता है। हमने बलपूर्वक कार्रवाई का विरोध एडिशनल एसपी के सामने रखा है।” उन्होंने कहा कि “हम न्याय के साथ खड़े हैं। सरकार संवाद करने की बजाय दबाव की राजनीति कर रही है। यह स्वीकार्य नहीं है। जेल में बंद युवाओं का कहना है कि उनकी कोई गलती नहीं, फिर भी उन्हें अकारण जेल में ठूंस दिया गया।”


