दूध की कीमत पहली बार 100 रुपए लीटर:क्योंकि इस पर किसी का कंट्रोल ही नहीं, डेयरी हो या कंपनी वाले मर्जी से बढ़ा रहे रेट

दूध की बढ़ती कीमतों ने लोगों को हैरान कर दिया है। पिछले तीन महीने में दूध की कीमत 70 से 100 रुपए लीटर तक पहुंच गई है। डेयरी और कंपनी वाले अपनी मर्जी से दूध की कीमत बढ़ा रहे हैं। क्योंकि इस पर किसी का कोई कंट्रोल ही नहीं है। कलेक्टोरेट का खाद्य विभाग हो या फिर नाप-तौल विभाग सभी के अफसरों का कहना है कि डेयरी और कंपनी वाले अपने प्रोडक्शन कॉस्ट के आधार पर ही दूध की कीमत तय करते हैं। इस पर हमारा कोई कंट्रोल नहीं है। इस साल की शुरुआत में डेयरी वालों ने हर महीने करीब 10 रुपए किलो लीटर बढ़ाई है। शहर के किसी भी डेयरी में कीमत एक समान नहीं है। डेयरी वाले अपनी सुविधा के अनुसार 80, 90 और 100 रुपए लीटर बेच रहे हैं। डेयरी वालों के पास भी दूध की कीमत तय करने का कोई पैमाना नहीं है। राजधानी में डेयरी वालों के साथ ही देवभोग, अमूल, मदर डेयरी वालों ने भी दूध की कीमत बढ़ा दी है। इस वजह से जो लोग दुकानों से दूध खरीदते हैं उन्हें भी दूध महंगा मिल रहा है। कौन-कैसा दूध दे रहा है, जांच तक करने नहीं जाते
शहर में डेयरी वाले कैसा दूध दे रहे हैं इसकी जांच तक नहीं की जाती है। खाद्य एवं औषधि विभाग वाले महीनों में कभी मोबाइल वैन के साथ जांच के लिए निकलते हैं। विभाग की ओर से कभी भी वार्डों या मोहल्लों में शिविर लगाकर दूध की जांच नहीं की जाती है। देश के कई राज्यों में दूध में यूरिया मिलाकर बेचा जाता है। रायपुर में ऐसा हो रहा है या नहीं इसकी भी जांच नहीं होती। लोगों तक को जागरूक नहीं किया जाता है कि वे अपने घरों में दूध की जांच किस तरह से कर सकते हैं। यही वजह है कि अगर दूध में मिलावट हो रही हो तो लोग उसकी भी जांच नहीं करते। इसके अलावा दूध में पानी मिलाने की शिकायत बेहद आम है। लेकिन इस पर भी कभी कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। पशु आहार की कीमत नहीं, लेकिन दूध की बढ़ाई
शहर में पशु आहार बेचने वाले दुकानदारों से बात करने पर पता चला कि पशु आहार की कीमत उतनी तेजी से नहीं बढ़ रही है जितनी तेजी से दूध की कीमत बढ़ रही है। शहर में अभी मक्का पशु चारा 25 से 150 रुपए प्रति किलो तक बिक रहा है। गेहूं का भूसा 20 रुपए प्रति किलो से शुरू हो जाता है। कोई भी डेयरी वाला हाई क्वालिटी का चारा उपयोग में नहीं लाता है। इसके अलावा भूसे की कीमत भी 600 से 800 रुपए प्रति क्विंटल है। जिसकी एक बार खरीदी होने के बाद वो भूसा महीनों तक चलता है। इसलिए बार-बार कहा जा रहा है कि जितनी तेजी से दूध की कीमत बढ़ाई जा रही है उतनी तेजी से चारा-भूसा की कीमत नहीं बढ़ी है।
कंपनी वालों पर भी किसी का कोई कंट्रोल नहीं
राजधानी में मदर डेयरी का दूध 67 से 69, देवभोग का 57 से 59 और अमूल दूध 57 से 58 रुपए प्रति लीटर बेचा जा रहा है। पिछले साल इनकी कीमत 45 से 50 रुपए लीटर के आसपास था। लेकिन अभी तीनों कंपनियों की कीमत लगातार बढ़ रही है। कंपनी वाले कभी दूध की कीमत 1 से 2 रुपए तक बढ़ा देते हैं। शहर में लगभग सभी दुकानदार दूध की एमआरपी से ज्यादा ही कीमत वसूल करते हैं। क्योंकि उनका कहना है कि दूध को फ्रिजर में रखना पड़ता है। इससे बिजली का बिल बढ़ता है। इसलिए जो एमआरपी हो उससे एक या दो रुपए ज्यादा ही लिया जाता है। घर के पास ही दूध मिलने की वजह से लोग इसका विरोध भी नहीं करते हैं। एक्सपर्ट व्यू: चाहें तो कीमत एक जैसी हो सकती है
दूध ऐसी चीज है जिसे हर घर में उपयोग में लाया जाता है। ऐसे में शहरभर में दूध की कीमत एक समान होनी चाहिए। भले ही कंपनी वालों की कीमत अलग हो सकती है, लेकिन डेयरी वालों की कीमत एक समान होनी चाहिए। दूध का भाव कंट्रोल करने कोई कानून या नियम देखने में नहीं आता है।शहर के बड़े पशु पालकों, दूध विक्रेताओं, पशु आहार विक्रेता और जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक कर कीमत एक समान रखी जा सकती है।
आरसी गुलाटी, रिटायर जिला खाद्य नियंत्रक सबको बुलाकर कीमत एक कराएंगे
सभी डेयरी वालों के यहां दूध की कीमत एक समान हो इसके लिए सभी डेयरी संचालकों को बुलाकर एक बैठक कराई जाएगी। सभी की सहमति के बाद तय किया जाएगा कि दूध की कीमत शहरभर में एक जैसी रहे। कंपनी वालों की कीमत की भी जांच करेंगे।
डॉ. गौरव कुमार सिंह, कलेक्टर रायपुर

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