देवकीनंदन ठाकुर बोले-भागवत कथा में नो तिलक, नो एंट्री:पोस्टर विमोचन हुआ,15–21 दिसंबर तक श्रीमद्भागवत कथा में सख्त संदेश

जयपुर के मानसरोवर स्थित बीटी रोड मेला ग्राउंड में विश्व शांति सेवा समिति जयपुर की ओर से 15 दिसंबर से 21 दिसंबर तक सात दिन की श्रीमद्भागवत कथा होगी। कथा का वाचन कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर करेंगे। आयोजन समिति के अनुसार, इस बार कार्यक्रम में नो तिलक नो एंट्री की व्यवस्था रहेगी। ठाकुर ने कहा कि जो भी श्रद्धालु तिलक लगाकर नहीं आएगा, उसे कथा स्थल पर प्रवेश नहीं मिलेगा। समिति को उम्मीद है कि कथा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होंगे। कथा का पोस्टर विमोचन शनिवार को होटल ग्रैंड सफारी में किया गया। इस दौरान देवकीनंदन ठाकुर ने मीडिया से बातचीत की और जयपुरवासियों से कथा में शामिल होने की अपील की। कार्यक्रम में तिलक लगाना सम्मान का प्रतीक ठाकुर ने कहा कि समाज और संस्कृति के सम्मान के साथ कार्यक्रम में आना आवश्यक है और तिलक लगाना उसी सम्मान का प्रतीक है। उन्होंने समाज के प्रतिष्ठित लोगों से भी अपील की है, कि वे आगे बढ़कर आने वाली पीढ़ी को संस्कृति से जोड़ने के लिए कथा में भाग लें। युवाओं को सनातन ज्ञान से जोड़ना ही कथा का उद्देश्य देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा का मुख्य उद्देश्य युवाओं को सनातन ज्ञान से जोड़ना है। उन्होंने बताया कि आज बच्चे आधुनिक चीजें बहुत तेजी से सीख लेते हैं, लेकिन परिवार, धैर्य और अपने दायित्वों को समझने में उतनी क्षमता विकसित नहीं कर पाते, जितनी होनी चाहिए। हमारे बच्चे रामायण और गीता को नहीं जानते उन्होंने कहा कि दुनिया के दूसरे समुदायों के बच्चे अपने धार्मिक ग्रंथों को अच्छी तरह जानते हैं, जबकि हमारे बच्चे रामायण और गीता को उतना नहीं जानते। उन्होंने कहा- अध्यात्म ही वह ज्ञान है, जो परिवार और समाज दोनों को मजबूत बनाता है। प्रतिष्ठा अपने लिए नहीं, समाज और धर्म के लिए बनानी चाहिए उन्होंने कहा कि जयपुर का हर समाज कथा में आए और अपने बच्चों को सिर्फ पैसे कमाने के बजाय आध्यात्मिक मूल्यों से भी जोड़े। ठाकुर ने साफ कहा कि प्रतिष्ठा अपने लिए नहीं, समाज और धर्म के लिए बनानी चाहिए। नो तिलक नो एंट्री व्यवस्था संस्कृति का सम्मान है देवकीनंदन ठाकुर ने कहा – इस भागवत में पहली बार ऐसा होगा कि जो तिलक लगाकर नहीं आएगा, उसे एंट्री नहीं मिलेगी। तिलक लगाकर आना है, ताकि अपनी संस्कृति का सम्मान बना रहे। समाज के प्रतिष्ठित लोग भी इसका संदेश आगे बढ़ाएं। अगर प्रतिष्ठित अपने लिए बनना है तो अलग बात है। लेकिन अगर प्रतिष्ठा धर्म और देश के लिए बनानी है, तो 15 से 21 दिसंबर तक होने वाली इस कथा में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्व शांति सेवा समिति जयपुर इस आयोजन को कर रही है और अलग-अलग समाजों से आने वाले सभी लोगों का स्वागत है। शौर्य दिवस हमें राजस्थान की परंपरा और अपने पूर्वजों की याद दिलाता है ठाकुर ने कहा- आज 6 दिसंबर शौर्य दिवस है। ऐसा लगता है, जैसे इन विषयों पर पूर्ण विराम लगा दिया गया है, जबकि सनातनियों को इन्हें भूलना नहीं चाहिए। राजस्थान वीरों, भक्तों और ज्ञानियों की भूमि है। महाराणा प्रताप ने बिना भोजन के कठिन परिस्थितियों में धर्म की रक्षा के लिए संघर्ष किया। अगर वे सिर्फ खाने कमाने में रमे रहते तो हम आज स्वतंत्र नहीं होते। उन्होंने कहा कि समाज को ऊपर उठकर देश और धर्म के लिए काम करना चाहिए। ठाकुर ने राम जन्मभूमि के दर्शन का उल्लेख करते हुए कहा कि जल्द ही मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि पर भी दर्शन की आशा है। बॉलीवुड ने संस्कृति को लेकर भ्रम फैलाया देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि बॉलीवुड ने तिलक, कलावा और शिखा को ढोंग बताकर संस्कृति को लज्जित करने का काम किया। लेकिन आज धर्माचार्यों ने सही ज्ञान देकर संस्कृति को इतना प्रचारित किया कि वृंदावन में आप देखेंगे, कि अधिकांश लोग बिना तिलक के नहीं होते। आने वाली पीढ़ी भी बिना तिलक के नहीं रहेगी। शिखा रखने तक की परंपरा फिर शुरू हो गई है। 14 दिसंबर को निकलेगी कलश यात्रा आयोजन से जुड़े आरएएस पंकज ओझा ने बताया कि 14 दिसंबर को भव्य कलश यात्रा निकाली जाएगी। यात्रा श्याम मंदिर वृंदावन धाम, न्यू सांगानेर रोड विजय पथ के सामने से शुरू होकर कथा स्थल पहुंचेगी। कलश यात्रा में सैकड़ों महिलाएं सिर पर कलश लेकर चलेंगी, जबकि पुरुष श्रद्धालु श्रीमद्भागवत पोथी सिर पर धारण कर शामिल होंगे।

FacebookMastodonEmail

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *