भास्कर न्यूज | जालंधर आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाने वाली देवशयनी एकादशी इस बार रविवार 6 जुलाई को है। इस तिथि से कार्तिक मास में पड़ने वाली देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्णु विश्राम करते हैं। इन चार महीनों को चातुर्मास कहा जाता है, जिसमें शादी, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्यों के लिए कोई मुहूर्त नहीं है। मान्यतानुसार, चातुर्मास में ग्रंथों का पाठ करना चाहिए। शिव शक्ति मां बगलामुखी मंदिर के पंडित विजय शास्त्री ने बताया कि आम बोलचाल और परंपराओं में इसे ही भगवान का सोना कहा जाता है। इसके बाद भगवान विष्णु कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जागते हैं। इन चार महीनों में कोई मांगलिक काम नहीं होते, सिर्फ पूजा-पाठ, उपासना और साधना ही की जाती है। पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। वैसे तो पांच जुलाई की शाम 6 बजकर 59 मिनट पर एकादशी शुरू हो जाएगी। लेकिन हिंदू धर्म में हर काम सूर्योदय से ही प्रारंभ होता है, इसलिए इस बार देवशयनी एकादशी का व्रत 6 जुलाई को रखा जाएगा और इसी दिन रात 9 बजकर 16 मिनट तक एकादशी रहेगी। इन दिनों मंत्र जप और ध्यान के साथ दिन की शुरुआत करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि चातुर्मास का समय वर्षा ऋतु का समय है। इन दिनों सूर्यदेव के दर्शन भी बहुत कम होते हैं। धूप नहीं निकलती है। ऐसी स्थिति में हमारी पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। इसलिए खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इन दिनों तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए। मसालेदार और अधिक तेल वाले भोजन को ग्रहण करने से बचना चाहिए। कुछ लोग इन दिनों में लहसुन और प्याज भी छोड़ देते हैं। भगवान विष्णु के इस पावन व्रत को करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत सभी मनोकामना को शीघ्र पूर्ण करता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु का व्रत करने से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। उन्होंने बताया कि इस साल 6 जुलाई से 1 नवंबर तक चातुर्मास रहेगा। इन चार महीनों में शादी, सगाई और गृह प्रवेश जैसे मांगलिक काम नहीं होते हैं। ईशान कोण में स्थापित करें प्रतिमा {व्रत करने के लिए सुबह उठकर नित्य क्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। {ईशान कोण में लाल सूती कपड़े पर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें। {भगवान गणेश और भगवान विष्णु की मूर्ति पर गंगाजल छिड़क कर उन्हें तिलक लगाएं। {भगवान को फूल चढ़ाएं, खीर का भोग लगाएं। {दीप जलाकर भगवान विष्णु का ध्यान कर उनकी आरती करें और पूजा हो जाने पर प्रसाद वितरण करें। दिन सात्विक भोजन ही करें। {इस दिन भगवान विष्णु का जप मंत्र जरूर करें। ओम नमो: भगवते वासुदेवाय: का जाप करें।