देवेंद्र नगर में मंगलवार शाम 4.30 बजे एनआईटी का छात्र चायनीज मांझे की वजह से गंभीर हादसे का शिकार हो गया। छत पर पतंगबाजी कर रहे युवकों की पतंग रोड में फंस गई थी। वे पतंग खींचकर निकाल रहे थे, इस दौरान मांझा रोड के आर-पार करीब छह फीट की ऊंचाई में तना हुआ था, तभी छात्र बाइक से गुजरा। बारीक मांझा उसे दिखाई नहीं दिया और गले में फंस गया। छात्र झटके से गिर पड़ा। उसके गले से खून बहने लगा। आनन-फानन में उसे निजी अस्पताल ले जाया गया। खून इतना बह रहा था कि पांच टांके लगाने पड़े। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। जानलेवा होने के कारण ही चायनीज मांझे को बैन किया गया है। राजधानी में उसके बावजूद खुलेआम प्रतिबंधित चायनीज मांझा पतंगबाजी के लिए बेचा जा रहा है। उसी का नतीजा है कि मंगलवार को आदित्य बाजपेयी (19) नामक छात्र गंभीर रूप से घायल हो गया। राजधानी के वरिष्ठ सर्जन और छात्र का उपचार करने वाले डॉ. संदीप दवे ने बताया कि गले में खासा गहरा कटा है। डॉक्टर के अनुसार छात्र की हालत खतरे से बाहर है। घायल छात्र ने बताया कि वह लखनऊ का रहने वाला है। डीडी नगर में किराए पर रहता है। पिता विवेक बाजपेयी शिक्षक हैं। मांझा निकालने की कोशिश की तो बहने लगा खून हादसे के करीब दो घंटे बाद तक मैं घबराया हुआ था। अस्पताल में इलाज के बाद जब डॉक्टरों ने कहा कि अब वह ठीक है, तब सामान्य हुआ। मैं एनआईटी में कंप्यूटर साइंस के चौथे सेमेस्टर में हूं। मुझे टूर में बाहर जाना है। इसके लिए शाम को शॉपिंग करने निकला था। अपने क्लासमेट संजीत कुमार के साथ बाइक में सड्डू के डेकाथलॉन जा रहा था। हम स्टेशन रोड से देवेंद्र नगर होते हुए जा रहे थे। देवेंद्र नगर ओवरब्रिज के नीचे पहुंचे थे कि अचानक गले में कुछ आकर फंसा। मुझे लगा गले में मच्छर ने काटा। बाइक आगे बढ़ी तो गला कस गया। इस दौरान हम दोनों बाइक से गिर गए। गले में फंसे धागे को निकालने का प्रयास किया तो खून बहने लगा। खून देखकर मेरी चीख निकल गई। मैं हड़बड़ा तब मेरे दोस्त संजीत ने संभाला। तुरंत मुझे उठाकर नजदीक के अस्पताल लेकर गया। आसपास वालों ने बताया कि वह चाइनीज मांझा था, जिससे मैं जख्मी हुआ हूं। (जैसा घायल आदित्य बाजपेयी ने भास्कर को बताया) चायनीज नहीं, लोकल बनाया जाता है मांझा
बूढ़ापारा इलाके में पतंग का कारोबार करने वाले व्यापारी का दावा है कि यहां चाइनीज मांझा नहीं बेचा जाता है। खुद कांच से रंगे हुए मांझे तैयार किए जाते हैं। बड़ी-छोटी चकरियों में लपेटा गया मांझा बहुत तेज होता है। यह चाइनीज जैसा दिखता है, लेकिन इसे यहीं स्थानीय स्तर पर बनाया जाता है। सामान्य धागे को कांच के रंग से धार किया जाता है। इसकी डिमांड बहुत ज्यादा है। गुजरात-यूपी से भी आ रहा
कारोबारियों का कहना है इस बार कच्चा माल महंगा होने से पतंग डोर यानी मांझे की कीमतों में 35 से 40 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। बाजार में अहमदाबाद, कानपुर और बरेली यूपी से मांजे और पतंग मंगवाई जा रही है। मांझा चरखे की कीमत 50 रुपए से ढाई सौ रुपए तक है। दुकानदारों ने बताया कि लॉकडाउन के बाद से पतंगों के प्रति लोगों का क्रेज बढ़ गया है।