छत्तीसगढ़ के धमतरी में वाल्मीकि समाज द्वारा आयोजित वार्षिक भोजली उत्सव का आयोजन किया गया। इस अवसर पर देर रात भव्य शोभायात्रा निकाली गई। कार्यक्रम में जाहरवीर गोगा और गुरु गोरखनाथ की 15 फीट लंबी छड़ियां शामिल थी। भक्तों ने छड़ियों को नाभि के पास पकड़कर शहर में भ्रमण कराया। एक रथ पर गुरु गोरखनाथ और भोजली को विराजमान किया गया था। श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा कर अपनी श्रद्धा व्यक्त की। कई श्रद्धालु जमीन पर लेटकर छड़ी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए प्रतीक्षा करते रहे। यह उत्सव सावन से शुरू होकर 40 दिनों तक चलता है। नागपंचमी के दिन छड़ी और भोजली की स्थापना की जाती है। रक्षाबंधन के अगले दिन अधिकांश भोजली का विसर्जन किया जाता है। कुछ भाग को गोगा नवमी तक सुरक्षित रखा जाता है। शोभायात्रा गुरु गोरखनाथ मंदिर से प्रारंभ होकर सदर बाजार, कचहरी चौक, मठ मंदिर चौक, गोल बाजार और बालक चौक होते हुए घड़ी चौक तक पहुंची। अंत में मकाई तालाब में भोजली का विसर्जन किया गया। इस अवसर पर वाल्मीकि समाज के साथ-साथ अन्य समाज के लोग भी बड़ी संख्या में शामिल हुए। तीन से चार पीढ़ियों से किया जा रहा भोजली का आयोजन वाल्मीकि समाज के सदस्यों अविनाश मरोठे, गौरी जितेंद्र वाल्मीकि और तिलक वाल्मीकि ने जानकारी दी कि धमतरी में वाल्मीकि समाज द्वारा भोजली का आयोजन तीन से चार पीढ़ियों से किया जा रहा है। इस धार्मिक आयोजन में न केवल वाल्मीकि समाज, बल्कि अन्य समाजों के लोग भी उत्साह से भाग लेते हैं। इस कार्यक्रम की विशेषता है गुरु गोरखनाथ मंदिर से निकाली जाने वाली छड़ी यात्रा। सबसे आगे गुरु गोरखनाथ की छड़ी और उसके पीछे जाहरवीर गोगा की छड़ी होती है। बताया गया कि जाहरवीर गोगा की छड़ी लगभग 15 फीट लंबी होती है, जिसे सेवादार नाभि के सामने उठाकर लेकर चलते हैं। इस दौरान ढोल-नगाड़ों की धुन पर श्रद्धालु थिरकते हैं और भक्त जमीन पर लोटकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। गुरु गोरखनाथ मंदिर को विशेष मान्यता समाज के लोगों ने बताया कि इस आयोजन की पूरे साल प्रतीक्षा की जाती है। गुरु गोरखनाथ मंदिर को विशेष मान्यता प्राप्त है। सावन माह में जब धमतरी के गुरु गोरखनाथ मंदिर में छड़ी की स्थापना होती है, तो शहर के अन्य समाज के लोग भी वहां पहुंचते हैं और अपनी मनोकामनाओं की अर्जी लगाते हैं। मान्यता है कि जिनकी मनोकामना पूरी होती है, उनके घर गुरु गोरखनाथ की छड़ी जाती है, और वहां प्रसादी वितरण कर आभार व्यक्त किया जाता है।