छत्तीसगढ़ में अब किसी एक धर्म से दूसरे धर्म में जाना आसान नहीं होगा। पूरी प्रक्रिया और नियम कानून का पालन करने के बाद धर्म बदला जा सकेगा। छत्तीसगढ़ सरकार धार्मिक स्वतंत्रता कानून बनाने जा रही है। नियमों का उल्लंघन या जबरिया धर्म परिवर्तन कराने पर जेल के साथ कड़ी सजा का प्रावधान किया जाएगा। राज्य सरकार में धर्मांतरण के मुद्दे पर ईसाई समुदाय और हिंदू संगठनों के बीच लगातार बढ़ते विवाद के बीच धार्मिक स्वतंत्रता संशोधन विधेयक बना रही है। विधेयक को विधानसभा सत्र के दौरान सार्वजनिक कर पारित किया जाएगा। धर्म परिवर्तन से 60 दिन पहले जानकारी देनी होगी। सरकार ने धार्मिक स्वतंत्रता कानून बनाने के लिए ओडिशा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश समेत 9 राज्यों के अधिनियम की स्टडी की है। गृहमंत्री विजय शर्मा ने 52 मीटिंग लेकर मसौदा तैयार करवाया है। 5 पेज के ड्राफ्ट में 17 महत्वपूर्ण बिंदू शामिल किए गए हैं। इसमें प्रलोभन या दबाव देकर धर्म बदलवाने पर सख्त सजा का प्रावधान रहेगा। प्रदेश के गृहमंत्री विजय शर्मा ने संकेत दिए हैं कि सरकार संशोधित धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम विधानसभा के शीतकालीन सत्र में सार्वजनिक कर सकती है। नया विधेयक कब तक लागू होगा ? इसमें क्या-क्या परिवर्तन होगा ? इसे बनाने के लिए कितनी बैठक हुई ? पढ़िए इस रिपोर्ट में… अब जानिए छत्तीसगढ़ में क्यों है कानून की जरूरत ? छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्रों में खासकर बस्तर, जशपुर, रायगढ़ क्षेत्र में बड़े पैमाने पर आदिवासियों को ईसाई धर्म में लिया जा रहा है। यह विवाद का विषय बना हुआ है। बस्तर के नारायणपुर क्षेत्र में तो यह गुटीय संघर्ष में तब्दील हो चुका है। आदिवासी और धर्म परिवर्तन करने वाले आदिवासियों के बीच कई बार गंभीर विवाद हो चुका है। कानून व्यवस्था बिगड़ चुकी है। इस कारण छत्तीसगढ़ सरकार ने ऐसे विवाद को टालने और धर्मांतरण पर एक कानून बनाने की प्रक्रिया शुरू की है। अभी धर्मांतरण की प्रक्रिया को वैधानिक मान्यता देने वाला कोई नियम नहीं छत्तीसगढ़ में वर्तमान में धर्मांतरण की प्रक्रिया को वैधानिक मान्यता देने वाला कोई स्पष्ट नियम नहीं है। अक्सर देखा जाता है कि, लोग किसी अन्य धर्म के अनुयायी की बातों या प्रभाव में आकर उस धर्म को अपनाते हैं। उसकी पूजा-पद्धतियों को मानकर खुद को उस धर्म का अनुयायी घोषित कर देते हैं। अगर कोई व्यक्ति इस प्रस्तावित नियम के बाहर जाकर धर्म परिवर्तन करता है, तो उसे वैध नहीं माना जाएगा। साथ ही किसी पर दबाव बनाकर या प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन कराया जाता है, तो उस व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल, गृह विभाग अन्य राज्यों के बनाए गए ऐसे कानूनों का अध्ययन कर रहा है। जिससे छत्तीसगढ़ में भी एक स्पष्ट और मजबूत नियम तैयार किया जा सके। क्या है धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम ? इस अधिनियम के तहत प्रत्येक व्यक्ति को अपनी पसंद के धर्म का पालन करने का अधिकार है। इस स्वतंत्रता को लोकतंत्र का प्रतीक माना जाता है। धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का अर्थ है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी पसंद के धर्म का अभ्यास करने और उसका पालन करने का अधिकार है। अब जानिए नए कानून में क्या-क्या होगा ? अब पढ़ें क्यों जरूरी है सख्त नियम केस: 1- धर्मांतरण के दबाव में किया सुसाइड 7 दिसंबर 2024: धमतरी जिले के पाटियाडीह गांव (अर्जुनी थाना क्षेत्र) में एक युवक ने आत्महत्या कर ली। लीनेश साहू (30) टेलरिंग का काम करता था। उसने अपने घर में फांसी लगाकर जान दे दी। परिजन जब कमरे में पहुंचे तो लीनेश फंदे पर लटका मिला। आत्महत्या से पहले उसने वॉट्सऐप स्टेटस में लिखा कि “पत्नी से परेशान हूं, सास-ससुर और साली धर्म परिवर्तन के लिए दबाव डाल रहे हैं।” पढ़ें पूरी खबर.. केस–2: बालोद में युवक ने किया सुसाइड 20 दिसंबर 2024: बालोद जिले के अर्जुंदा थाना क्षेत्र में गजेंद्र उर्फ सूरज देवांगन (35) ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। मरने से पहले सूरज ने थाने में शिकायत दी थी कि उसकी पत्नी राकेश्वरी देवांगन ईसाई धर्म अपना चुकी है।वो उस पर भी धर्म बदलने का दबाव बना रही है। सूरज ने आरोप लगाया कि पत्नी, सास और ससुर उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे थे। कमरे की दीवार पर भी उसने यही बातें लिखी थीं। परिजनों का कहना है कि ससुराल पक्ष द्वारा लगातार धर्मांतरण का दबाव डाला जा रहा था। पढ़ें पूरी खबर… अब पढ़ें कितनी बार हुआ है विवाद अब पढ़ें कितने FIR दर्ज हुई ……………………………. इससे संबंधित ये खबर भी पढ़ें छत्तीसगढ़ के कोने-कोने में कैसे पनपी-फैली क्रिश्चियनिटी: 4 लोगों से 6 लाख पहुंची आबादी, जर्मन ने बनाया था पहला चर्च-कब्रिस्तान, उनकी कब्र भी यहीं छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण पर हिंदू और ईसाई समाज में टकराव के हालात हैं। 25 जुलाई को 2 मिशनरी सिस्टर्स की गिरफ्तारी हुई। इसकी सियासी आग राज्यसभा-लोकसभा तक जा पहुंची। ननों की गिरफ्तारी के खिलाफ दिल्ली से सांसदों का प्रतिनिधि मंडल दुर्ग जेल पहुंचा। सरकार पर ननों को झूठे केस में फंसाकर जेल में डालने का आरोप लगाया। पढ़ें पूरी खबर…