बाड़मेर की हस्तशिल्प कला दुनिया में प्रसिद्ध है। बाड़मेर की पारंपरिक सांस्कृति और परंपराओं को जीवित रखे हुए है। अंतरराष्ट्रीय फैशन डिजायनर डॉ. रूमा देवी के निर्देशन में 8 महिलाओं ने 6 दिन तक काम करके हैंड एंब्रॉडयी से दैनिक भास्कर का मास्ट हेड तैयार किया है, ताकि सदियों पुरानी कला व संस्कृति जीवित रहे। गांव की ढाणियों से जुड़ी इन महिलाओं ने पहली बार कपड़े पर दैनिक भास्कर को उसी फोंट और बाड़मेर के कल्चर को प्रदर्शित करते हुए मास्ट हेड बनाया है। कपड़े पर धागे से बुन कर मास्ट हेड को बनाना चुनौतीपूर्ण था, लेकिन मास्टर कलाकार चुगणी ने हैंड एंब्रॉडयी से इस चुनौती को स्वीकार कर लिया। परपल कलर के कपड़े को सलेक्ट किया, ताकि उस पर वाइट धागे से उभरा हुआ दैनिक भास्कर लिखा गया। 5 दिसंबर को शुरू किया था काम इसमें अनिता चौधरी के सुपरविजन में चुणनी देवी, केसी चौधरी, मूमल देवी व मगी देवी ने 5 दिसंबर को ही हेडर का काम शुरू किया। दो दिन तक दैनिक भास्कर लिखा। इसके बाद रेगिस्तान में पवन चक्की, झोंपा, ऊंट, पणिहारी, बिलौना करती हुए महिलाएं, जैसलमेर का किला, मटके बनाता हुआ कुम्हार, ऊन से कपड़े बनाता कलाकार, रेगिस्तान में प्यास बुझाने वाले बेरी और मुख्य धान बाजरे को धागे से बुनकर अलग-अलग तैयार किया। इसके बाद जब सभी को एक ही फ्रेम में लगाया गया। दैनिक भास्कर टीम के चीफ रिपोर्टर लाखाराम जाखड़, पाली से आए सीनियर सब एडिटर मनीष माली, फोटोजर्नलिस्ट नरपत रामावत ने 6 दिन तक मॉनिटरिंग की तब कपड़े पर इस तरह के हेडर का प्रयोग सफल हुआ।


