धान खरीदी की तैयारियां सभी स्तर पर हो रही असफलकिसानों के खाते नहीं आई समर्थन मूल्य की राशि

धान खरीदी की तैयारियां सभी स्तर पर हो रही असफल
किसानों के खाते नहीं आई समर्थन मूल्य की राशि
अनूपपुर।
जिले में धान खरीदी की तैयारियां अब विभागीय स्तर से लेकर शासकी स्तर तक फेल होती जा रही है। एक ओर जहां विभागीय अधिकारियों की लापरवाही में जिले में 10 महिला स्व सहायता समूहों को उनके केन्द्र आवंटित नहीं हो सके और भेजे गए आवेदन रिजेक्ट हो गए। वहीं शासन स्तर पर भारत सरकार द्वारा पायलट प्रोजेक्ट योजना के तहत जिले में एनसीसीएफ एजेंसी से उपार्जन वर्ष 2024-25 की दी गई जिम्मेदारी में किसानों से खरीदी करोड़ों की धान खुले आसमान के नीचे भंडारित पड़ा है। परिवहन नहीं होने के कारण यह असुरक्षित भंडारित धान कभी भी मौसम की मार में बर्बाद हो जाएगा। बताया जाता है कि खरीदी के लिए आई नई एनसीसीएफ एजेंसी के पास किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं है। इन्होंने न तो अभी तक मिलर्स के साथ किसी प्रकार का एग्रीमेंट किया है और न ही परिवहन के लिए कोई नीति बनाई है। इसके अलावा समिति के विषय में भी कोई जानकारी है। जिसके कारण इनके द्वारा वर्तमान में की गई किसानों से करोड़ो की खरीदी में अब तक किसानों के खाते में एक पैसा तक नहीं आया है। इससे किसान परेशान हैं। उल्लेखनीय है कि उपार्जन वर्ष 2024-25 के लिए 24 सितम्बर को भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ को खरीदी विपणन में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के लिए राज्य नोडल एजेंसी बनाए जाने की अनुमति जारी की गई थी। जिसके तहत अनूपपुर, शहडोल, उमरिया में नोडल एजेंसी बनाई गई है। जिसमें एजेंसी धान उपार्जन और मिलिंग का कार्य करेगी। 16 दिसम्बर की स्थिति में जिले में 24 उपार्जन केन्द्रों पर 3087 किसानों से लगभग 154375.52 क्विंटल धान की खरीदी की जा चुकी है। जहां केन्द्रों पर 101777.73 क्विंटल धान पड़ा हुआ है। लेकिन यहां 3087 किसानों के खाते में एक भी रूपया नहीं आवंटन किया गया है।
केन्द्रों पर अव्यवस्था
2 दिसम्बर से जिले के 24 खरीदी केन्द्रो में धान की खरीदी की जा रही है। लगभग किसानों के द्वारा अपनी फसल को विक्रय कर चुके हैं। उपार्जन केन्द्रो में धान स्टॉक करने की निर्धारित क्षमता है, लेकिन धान का उठाव न होने से केन्द्रों में रखने की जगह नहीं बची है। वहीं धान का उठाव व परिवहन न होने से भुगतान की समस्या भी बनी हुई है। एजेंसी के अधिकारियों के अनुसार पोर्टल में खराबी के कारण अब तक भुगतान नहीं हो पाया है और ना ही खरीदी के उपरांत धान भंडारण की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। जबकि खरीदी केन्द्र सूत्रों के अनुसार एजेंसी नियम कानून व जानकारी के अभाव में धान के उठाव संबंधी समस्याओं का सामना कर रही है। एजेंसी का न तो मिलर्स के साथ कोई अनुबंध है और न ही परिवहन वालों से कोई अनुबंध तय किया गया है। कुल मिलाकर एनसीसीएफ के कारण उपार्जन केन्द्रों और किसानों के भुगतान की समस्या बनी हुई है।
खरीदी के दूसरे दिन भुगतान के निर्देश
केन्द्रों पर फसलों की सुरक्षा को लेकर कलेक्टर ने पूर्व ही विभागीय अधिकारियों को चेतावनी थी कि किसी भी लापरवाही में केन्द्रों पर धान असुरक्षित न रहे। यहां तक कि धान उपार्जन के दिन ही परिवहन कराया जाए या निकटम गोदाम में भंडारण की व्यवस्था बनाई जाए। इसके अलावा संभव हो तो किसानों का भुगतान भी एकाध सप्ताह के भीतर ही कर दिया जाए। लेकिन जिला प्रशासन के लिए अब यह एजेंसी और व्यवस्था एक चुनौती बन गई है। जबकि किसानों के लिए परेशानी का सबब। इस बीच अगर वर्षा के कारण धान खराब होता है तो उसकी जिम्मेदारी किसपर होगी यह समझ से परे है।

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